पाँखुरियाँ गुलाब की | Pankhuriya Gulab Ki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
765 KB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारा प्यार जी उठता, धडी मरने की टल जाती
जो तुम नजरो से छू देते तो यह दुनिया बदल जाती
उन्ही को दूढती फिरती थी आखे जानेवाले की
न करते इतजार ऐसे, किसी की रात ढल जाती
हम उनकी वेरुखी को ही हमेशा प्यार क्यो समझे
कभी तो मुस्कुरा देते, तवीयत ही वहल जाती
उाही को चाहते है अपने सीने से लग( ले हम
कि जिनको याद आते ही छुरी है दिल पे चल जाती
वे दिन कुछ और ही थे जब ग्रुलाव आखो मे रहते थे
बिना ठहरे ही डोली अब वहारो की निकल जाती
पशुरियाँ गुलाब को
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