सार समयसार | Sar Samayasar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
746 KB
कुल पष्ठ :
26
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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काजू आप
मैं ज्ञानामेनेद स्वर्मावीं हूँ कर.
सेठ कालोनी
में हूं श्रपने में स्वयं पुरा,
पर की मुझ में कुछ गन्ध नहीं ।
में प्ररस, अ्रूपी, श्रस्पर्शो
पर से कुछ भी सम्बन्ध नहीं ॥11१॥।
में रंग-राग से भिन्न, भेद से
भी में भिन्न निराला हूँ।
में हूँ भ्रसण्ड, चेतन्यपिण्ड,
निज रस में रमने वाला हूँ ॥२॥।
में हो मेरा कर्चा-धर्त्ता,
मुझ में पर का कुछ कास नहीं ।
में मुक में रहने वाला हूं,
पर में मेरा विश्लाम नहों ॥३॥॥
में शुद्ध, बुद्ध, श्रवरुद्ध, एक,
पर-परिर्ति से श्रप्रभावी हूँ।
प्रात्मानुभृति से प्राप्त तत्त्व,
में ज्ञानानन्द स्वभावी हूँ ॥॥४॥॥
“ डा० हुकमचन्द भारिल्ल
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