संस्कृत पाठ माला | Sanskrit Paath Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
54
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२३ )
६ प्रातः-युजों अश्विनों ) प्रातःकारसे संबेध- रखनेवाके अख्विदेवों !
€ वि बोधय ) विशेष रीतिसे जगा दो। ( अस्थ सोमस्य पीतये ) इस
सोसके पानके लिये ( इह का गच्छतास् ) यहां आाभो |
उपस्
“ बश्च ? इच्छा या कानित अर्थवारा धातु हे, इससे “उस” बनकर डससे
* उषा, उषस ! ये शब्द द्वोते हें । इसका उदाहरण यह है--
उषस्ताच्चित्रमा सराधश्मभ्यं वाजिन्नीचति ।
यन तोक॑ च तनये च धामहे ॥ ( ऋ, १1९२।१३ )
हें ( वाजैनीवांते उषः ) हें बल्युक्त उषा ! (अस्मभ्यं तत् चित्र भा भर)
हम सबके लिये यह चादनेयोग्य घन दे, ( येन चोक॑ च तनरय च धामहे )
जिससे बालबच्चोंका चघारण-पोदबण करेंगे |
इस संत्रके कुछ शब्दोंके मथ---
१ खित्रे ७ € चायनीये, मद्वतीय ) चाहनेयोंग्य, इच्छा करनेयोग्य |
२ वाजनीवती > क्षद्वयुक्त, बछशाडछिनी ।
उष:काऊ्का समय बल बढानेवाला है, इसलिये इससे पूर्व उठकर इससे
बल प्राप्त करना चाहिये। इस समय सोना कभी योग्य नहीं। जो सोयेगा चद्ध
उक्त शक्तिसे वंचित रहेगा ।
1. आओ
पाठ ६
वात आ वबातु भेषजं शब्सु मयोसु नो ह॒दे ।
भू ण हायूदि तारपषत्॥ ( छह, १०1१८६:९ )
| बातः ) वाय ( भेषजं ) रोगनाशक झावाधेकों ( आ वातु ) छाता है!
वह दाय ( शास्शु ) शांति देनेदाला ओर ( हदें ) हृदबकी ( सयोभु ॥
प्रसन्नता श्लौर नीरेगठा करनेवाला है, ( ना ) हम सबकी ( लायूवि ) आयु
यह् बाय € पभ्रतारिषत् ) दीधे बनाता है।
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