राजदर्शन के नव - रत्न | Rajdarshan Ke Nav - Ratn

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajdarshan Ke Nav - Ratn by सरला अर्गल - Srala Argal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सरला अर्गल - Srala Argal

Add Infomation AboutSrala Argal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्तैटो १३ दासमिक-बर्ग (संरशक) सँतिक बर्ग (सहामक सरक्षक) भौर प्राबिक मर्य राज्य गी उत्पत्ति बभूक्ति भतुष्प स्वभ्रित सही छसे पुत्रों को भ्रावस्‍्मश्ता है इसलिये (मौठिक प्रावश्यकता्ों की पू्ति करने बालशा)। प्लेटो का यह बर्ग-बिमाजन मासतीय थाति व्यपए्बा के भगुरुप सही है गर्योकि यह जस्म पर प्राबारित मोतिक प्रादइयकतापों की पूत्ति के लिमे तही है। धार ही भाधुनिक बर्यों की समाज का जफूज । भांति यह धत पर भी प्राधाएित नहीं झाविक दाह्य--प्रसपेक स्पक्ति बहो है। इसका प्राबार है-- स्वामामिक झ्राबिक कार्य करे, समतायें प्रौर कार्मदक्तता। सदि एक जिप्तें बह वक्ष है. गर्ण के बच्चों में डूसरे गर्ग के ग्रुणा प्राविक बर्ष। मिलते हैं, दो पहिले बर्ष में उपन्न शभ्य राज्य--सैतिक धर्म को प्राय होते हुए भी बह दूसरे बर्म का सदस्य इपकता) बत जावेगा। प्सेटो शिक्षता है कि सैनिकों में हत्हाह ग्रौर ईएएजर ते दार्शमिक अर्स में सोना बाला बियेक; है सैनिक बर्य में बाँदी ध्ौर प्राषिक खार्पपालिका का कार्य । बर्ज में पीपल या कांसा। यह ही चैशिक राश्प-दाप्नसिक बम कौ पा सबता है कि कसे अर्म में पैदा हुए अदयकशा' बच्धों मे चाँदी या सोना बसा हो | दिपुद्ध ह्वाद का स्ाप्व ऐसी हाशत में ऊहूँ बंदी या सोने हारप छा तिरशशत । दासे बर्ग में रखता चाहिये | दार्पतिक बर्म जो एक प्रकार सै राज्य की गिधान-समा बनाये प्रखे छीगत की भारणा को सामने रक्षकर रासय का विरेशन करेंगे । ये भोग प्राग्मस में १हमे इबढी कोई भ्यक्तिषत संपत्ति लह्दी होमी प्रौर न कोई निओरो स्वार्ष । इतहलिये वे प्पती स्थाभादिक क्षमताप्रों का प्रयोग प्पते मिजी सा भ्पने दर्ण की स्वार्य-सिद्धि में गहीं करेंगे । सैनिक बर्ष राज्य बौ कार्यपासिका होगी भौर बई दाठ॑तिक बर्ये डा विधास सप्रा है भारणातुलार बाय करेपी। इस बर्ग में दाएंगिर ब्ष द्वारा बताये सये शर्तों को धनुसपरप करने का शात हो होता है, पर एवप॑ राम्य की प्रच्छाईं सोचते को धमठा गहीं होती। प्राविर गर्य पम्प भी धौर संरदार्को की ध्राधिक प्राइए्यक्ताधों गो पूति क्रेया | चूंकि पपिक बड़ा राभ्य धोर प्रपिक परीदी धौर प्रमीरी राम्य में पतन का बारणण होती है इसहियै शंप्सक शाम्प को प्रोर प्रसबते पत-पत्ति को मर्यादित रखने | संश्कृर्णो




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now