सम्यक्त्वशल्योद्वार | Samyaktvashayodwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पावन प्रश्षी फा उत्तर श्ष्र (४१ ) पदीकचाक थांघते दो लिखा दे, सो मिथ्या दे। (४२ ) घेदना करवाते दो, चैद्ना करनी सो भ्रावकोफा मुख्यधमे है। [४३ ] लोगोंके शिर पर रजे।हरण फिराते हो, यद फाम हमारे संवेगी मुनि नदी करते द, परंतु तुमारे रिख यह फाम फरतते हैं, सो प्रथम लिख आए हैं। [४४ ] गांठमें गरथ रखते दो अयोद धन रखते दो, यद मद्या असत्त है, इस तरह लियने से जेठेने ततेरवें पापस्थानक फा घंधन किया है॥ [ ४५ ]डंडासण रखते दो लिखा, सो ठीक दै, थीमद्ानिशोथ सूत्र में फद्दा है * [४६ ] स्त्री फा संघद्ठा फरते दो लिया है, ख्रों मिथ्या दे ॥ [४७ ] पर्गों तक नीची पछेबड़ी ओढते द्वो छिख़ा है, सो मिथ्या है, फ्च्नोंकि संवर्ग मुनि ऐसे नहीं ओढते हैं परन्तु त॒ुमारे रिख्॒ पगकी पानी [अडियों] तक छेवा घघधरे जैसा चोलपट्टा पदिरते है । , (४८ ] खूरिमंत्र छेते हो लिया हैं सो गणघर भाद्वाराज फी परंपराय से हे, इस चास्ते सत्य है ॥ [४५९ ] फपड़े धुलवाते द्वो लिखा है, सो असत्य दे ॥ (५० ] आंबिक की ओ लि फराते द्वो छिखा दै सो सत्य दे, मद्दा उत्तम है, शआीपालचरिभ्ादि शास्त्रों में फद्दा हे, मार इस से नव पद्‌ फा आराधन होता है, याचत्‌ मोक्ष छुस फ़ी प्राप्ति दे ॥ [५९१ ] यति भरे श्वाद ,लड़ड छादते दो लिज़ा दे, सो असत्य दे, दमने तो ऐसा छुना भी नहीं दे, फद्ापि ठुमारे हूंढक करते द्वों, और इस से याद आगया हो ऐसे भसासता दे क : [ ५२ ] यतिके मरेबाव धूम फरातैदो-यद भ्राचक फी फरणीहे, शुरु भक्ति निर्मेत्त करना यह आवक फा घम दे, श्रीआवदयक, आधार दिनकरादि सूओंमें छिख्ा है और इस में साधुका उपदेशहे, आदिदानहीं॥ 7 #ओऔव्यवहार सून्न माष्यादिकर्मं भी.डडासण रखना लिखा है ॥ कसुननेमें आया हे कि अम्वतसरमें एक हूंढनीके मरे याद सेवकों ने पिंड भराये थे तथा पैजाव-में जब किती हृडीयें था हृब्नी के मरनेपर लोक एकत्र होते हैं तो खुब मिठाईयों पर हाथ फेरते दें ॥




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