संस्कृत पथ माला भाग ८ | Sanskrit Path Mala Bhag ८
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
470
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३१ )
पाठ ९
पूर्व पाठोम दिये हुए रामायणर्के वाक्य इस पाठमें साध
करके दिये जाते हैं। इनके पढनेस सेधियाका ज्ञान पराठको
को हो सकता है ।
सुमेत्रो गत्वा राम ददश । चवन्दे च तछुवाच च |
हे राम ! पिता ट्वां द्र॒प्टुमिच्छाति । गस्यतां तत्र, सा
'चिरमिति।एचसुस्ती नराखिंहो राम+ सीता संसान्या-
न्तःपुरमत्यगात् । अभिवाद्य च पितुश्वरणी सुसमा-
(दैतः कैकेय्या अपि चरणी चचन्दे । नपतिस्तु दीनो
न शाशाकेक्षितु कि पुनरभिमापितुम् ? तच्च नरफ्ते
रूप भयावह हृष्ठा भयमापतन्नों रामः ।
कैकेघी मभिवाशैवात्रवीत् , काचिन्मया नापराद्ध येन
में कुषितः पिता १ कब्चिन्न भरते झचुन्ने मातृणां चा
मेष्शुभम ! नृपे तु छुपिते छहतेसपि जीवितुं नोत्सदे।
कैकेयी तु निलेज्जा तदा55त्महित॑ बच उच्चाच !
रास * राजा न कुपितः | नास्प केचन व्यसन, सने-
गत तुकाचच्त्वद्रपान्नालुभापत्त । त्वामाप्रय चक्ते न
प्रचलतेउस्प वाणी | एप द्वि एरा मामाभिपूज्य वरं च
दत्त्वा पग्चात्तण्पत राजा यथाउन्य: प्राकृतर
एतच्छ्सन्वा राम ज्याथित उदाच । अहो घिल !
हू दावे | सासथ चकते नाहासे। राज्ञों चचनात्पाव-
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