आचार्य राजशेखर | Acharya Rajshekhar

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Acharya Rajshekhar by श्यामा वर्मा - Shyama Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रावकथन इस बात पर सभी शिक्षा-आास्त्री एकमत हैं कि मातृभाषा के माध्यम से दी- गयी शिक्षा छात्रों के सर्वागीण विकास एवं मौछिक जिन्तन की अभिवेद्धि से अधिक सहायक होती है ! इसी कारण स्वातम्ध्य आन्दोलन के समय एवं उसके पूर्व से ही स्वामी श्रद्धानन्द, रवीद्धताथ टैगोर एवं महात्मा गाधी ज॑ते मान्य भेताओ ने मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने की दृष्टि से प्रादर्श शिक्षा-सस्याएँ स्थापित की । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाइ भी देश मे शिक्षा-सम्बन्धी जौ कमीशन . मो समितियाँ नियुक्त की गयी, उन्होंने एकमत से इस सिद्धांत का अनुमोदत किया । इस दिशा में सबसे बडी बाधा थी--प्रेष्ठ पाठ्य-प्रत्यों का अभाव । हम सब जानते हैं कि मे केवल विज्ञाग और तकनीक, अपितु मानविकी के दोन से भी विश्व भें इतनी तोक्षता से नये अनुमथानों और चिस्तनों का आगमन हो रहा है कि यदि उसे ठीक ढग से गृहीत ठ क्रिया गया तो मातृभाषा से शिक्षा पाने बाहे प्रचछो के पिछड जाने की आशका है । भारत सरवागर के शिक्षा मब्ा- छय ने इस दात का अनुभव क्रिया और भारत क्री क्षेत्रीय भापाओं में विश विद्यालयीन स्वर पर उत्कृष्ट पाद्य-प्रस्थ तंग्रार करने के छिए सम्रुच्तित आर्थिक दामित्व स्वीकार किया । केस्द्रीय शिक्षा-मवाॉल्य की यह थोगता उसके झत- प्रतिशत ग्रनुदात से राज्य अकाइमियो द्वारा कार्याम्वित की जा रही है । मध्य- प्रदेश में 'हिन्दी ग्र्य भ्रकादमी' की स्थापना इसी उद्देश्य से की गयी है । अकादमी विश्वविद्यालयीन स्तर की भौछिक पुस्तकों के निर्माण के साथ, विदव की विभिन्न भाषाओं में बिखरे हुए ज्ञान को हिन्दी के माध्यम से प्राध्या- पको एवं विद्याधियों को उपलब्ध करेगी। इस योजना के साथ राज्य के सभी महाविद्यालय तथा विश्वविद्या्य सम्बद्ध है। मेरा विश्वास हैँ कि सभी शिक्षा- शास्त्री एवं शिक्षा-प्रेमी इस योजना को प्रोत्साहित करेगे । प्राध्यापको सै मेरा अनुरोध है कि वे अकादमी के प्रस्थों को छात्रों तक पहुँचाने में हमे सहयोग प्रदान करे जिससे विना और विलम्ब के विश्वविद्यालयों मे सभी विषयों के शिक्षण वा माध्यम हिन्दी बन सके । जगदीशनारायण अवस्थी शिक्षा-मत्री अध्यक्ष : मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी




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