बौद्ध धर्म दर्शन | Bouddhadharma-darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) दिवीय ग्रष्यांय ४ जद का सूल उपदेश २४-२४ बुड्ड को शिद्दा में सावंमौमिकता --मध्यम-मार्ग--शिक्षात्रप--प्रतीत्य-समुत्याद-- श्रष्टीगिक-मार्ग--पंचशील | चृतीय धथ्याय 2 पालि-वौद्ागम २५-१४ बुद्ध-देशना की भाषा तथा उसका विस्तार--पालि-साहित्य का रचना-प्रकार व विकास--- त्रिपिटक तथा श्रनुपिटकों का संकिप्त परिचिय--पिटकेतर पालिग्रन्थ । चतुथ अध्याय निकाय-विस्तार ३१०८ निकायों का विकास । पंचम अष्याय । स्थविरघाद की साधना ३६-१०० शमथ-यान--कसिणु-निदेश--दश श्रशुभ-कर्मस्थान--दश श्रनुस्थृतियाँ-श्रानापान- स्पृति-चार अहविद्दार--चार श्ररूपध्यान- श्राह्वार में प्रतिकूल संज्ञा--चतुर्घातु- व्यवस्थान--विपश्यना । द्विवीय खण्ड (१०१-२१८) | महायान-घमे ओऔर दरशन उसकी उत्पत्ति तथा विकास साहित्य और साथना बच्च अध्याय मदायान का उद्धव ओर उसकी विशेषता - १०३-१९२२ हायान-घर्म की उत्पत्ति--महायान-धर्म की विशेषता--त्रिकाय-वाद | सप्तम थष्याय बोद्ध-संस्इत साहित्य ओर उसका परिचय १९३-१६३ बोद्ध-संस्कृत-साहित्य॒ का श्रर्वाचीन शष्ययन--बौद्ध-संकर-संस्कृत का विकास -- मद्दावस्तु--ललितविश्तर--श्रश्वघोष - सादित्य--श्रवदान -साहित्य--महायान-सूत्र-- सद्र्मपुरडरीक--कारणएडब्यूद--श्रच्चो ्यव्यूद व करुणणा पुरडरीक--सुखा वतीब्यूह--श्रा य॑- बुद्धावतंसक--गणडब्यूद--दशभूमीश्वर--प्रज्ञापारमितासूत्र--लंकावतारसूत्र | -.. झछम अष्याय ।। मदायान के प्रधान झायाय १६४-१७४ मद्दायान-दर्शन की उतपत्ति श्रौर उसके प्रघान श्राचाये | नवम झष्याय 2 महायान के तन्त्रादि साहित्य १७६-१७८ माहदात्म्य स्तोत्र घारणी श्रौर तन्त्रों का संक्तिप्त पस्चिय । वृशम अध्याय मदहायान की साधना तथा चयां २१७९-२१८ मद्दायान में साधना की नई दिशा--बुद्ध के पूव-जन्म--बुद्धत्य--ब्रोधि-चित्त तथा बोचि-चर्या--पारफ्ताश्रों की साघना ।




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