स्वर्ग का विमान | Swarg Ka Viman

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Swarg Ka Viman by पण्डित रामजीवनी नागर - Pandit Ramajivani Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुऋमाणिका । ३१ विषय पृष्ठांक, २१७ धमे जानते हुएमी औरोकी न बताना बडा पाप है इस लिये भक्तोंकी चाहिये कि औरोंकी धमेका उप- देश द्ठं रा “गन फद २१८ किसीकों आगंभसे या कुएमेंसे बचाना जैसे घमे है वैसेंही धमेंका उपदेश करना करानाभी इंश्वरका प्यारा काम है. --« बा सं बन ० २१९० इश्वरके ग्रुणोंका पार नहीं आता बका «« रेण्शे २२० पैसेसे आत्माकी शान्ति नहीं मित्ती -«« «० रेपरे २२१ विश्वास रक्खो कि प्रभु जो करता है सों सब ठीकही है २५४ २२२ राज नदीके बीचम जलमरा इस बातका मम, अनुभवी बिना दूसरा कीन वतांवे.. .-« के रेप २२३ हमारे काम कैसेही अच्छे क्‍यों न हों परंतु इंश्वरके कार्मोके आगे तो किसीसी गिनती नहीं इससे इन कार्माका झूंठा अभिमान मत करों न . खप््क २२४ सोनेको खान हमारे घरम है परंतु हम उसे जानते नहीं. वह खान हमारा धमंशाखही है «« . ._ «« रेप८ट २२५ भरेहुए घडेसें जैसे दूसरी वस्तु नहीं समासकती, देसेही पापियोंके हृदयमें पाप भरा होनेसे उसमें इश्वरीय ज्ञान नहीं आसकता -«-« के शेह प «ब्ब्न रे, २२६ बंदर जैसे हीरेकी कीमत नहीं समझते, बैसेही पापी ज्ञानकी कीमत नहीं समझसकते ब्बूब “« रेछू० न्र्छ इंबरके बड़े इंडकी पापियोंकी खबर नहीं है इससे वें पाप करते है .... ब्क बे ब्न् हर २२८ अपने धमेका ज्ञान हो परंतु आचरण अच्छे न हों गुरु अधवेक हाथम दोपक समान हैं .... «««० हैं ने २२५ जीवनका कतव्य देनेकों ठुकडा भला, लेनेकी हरिनाम र६४ २३० हमारी प्राथनाएँ सफल क्‍यों नहीं होती ९ «०० न थदुंप्र्‌




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