विचित्रोपदेश | Vachitropadesh

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Vachitropadesh by नकछेदी तिवारी - Nakachhedi Tiwariसुधाकर - Sudhakar

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नकछेदी तिवारी - Nakachhedi Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विंचित्रो पंदेश अथवा मड़ोआसग्रेह ) प्रथपखण्ड सड्लनायचरण-दे हा | करम मरम के बस निरखि जगके विविध चरित्र । व्रि प्रणाम घरसु को करत संग्रह लित्र बिचित्र ॥ फाचिह्त यूदिन दरिद्र गूइत्याणशिन बिमूति दीनी पापिन प्रमोद एुन्य - चन्तन छल गये। । गहन श्रहेश किये सनि का खुचित लघु व्यालन अनन्द सेस भरन दुढा गये ॥ फेरन फेरावत शुनी- जन को डार २ युन तें बिद्दीन ताहि बेठक भला दया । कान कान नयूक तेरी कहीं एक आनन तें नाम चतुरानन पे प्यूकते यला गये ॥ २ ॥ कारी आओ चमार चखिरीमार का जु यार कर प्यार चार सदना सुफ्च मनसाए हैं । छिपिया काहार नाऊ दाऊ के सुदामे रेरचो शिद्ध के अगाऊ हैके जाय रुनगाए हैं ॥ घासीराम राजी हे विदुर घर भाजी खाई पाजी शिलनी के बैर जूठे सुंद नाए हैं | वचष्टिये कहाँ लो कलिकाल के अन्देसे घेस्ये नोचरंगी छाकर ठेकाने हैात आए हैं ॥ ६




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