दुर्गार्चन सृति | Durgaarchan Sriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
443
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दुगा हवन सामग्री
श्रीफल कच्चे १४, सर्वोपधी, रोली, कलावा, सुपारी, कपूर, अबीर,
गुल्लाल, हल्दी पिसी, मेंहदी, सिंदूर, घृषबत्ती, अगरबत्ती, चिल॒मिली
मत्रगट्ट १४ नग, बेलगिरी, गूगल, छोटो इलायची, लॉग, मेनफत्
घग २, जायफल ७, भाजपत्र, लाल चन्दन, पाचा सत्रा, मश्रां, पीली
सरसों, गिल्लोय हरी, ढाक की लकड़ी, काले तित्न, चावल, जो, चीनी;
थी, खड़िया, गोले नग २, कू जे मिश्री २, खर को लकड़ी, आचमनी,
पंच पात्र, साला, जप स्थल्ी, धोती अंगोछे, आज्य स्थाली, चरूु
स्थाली, कलश तांबे का १, लोटा तांबे का १, कटारे तांबे के २, कांसे'
का कटोरा १, पूर्णपात्र १, कटोरी कांसे की १ छाया दान की, दूध
कच्चा, दही, नवेद्य वरफो लड॒ड + ऋतु फल, शहत, आसन, मलमल
टूल बड़े अज की, खारुआ, चुन्दरी, पीली छींट, दरयाई, सुहाग-
पिटारी, मूर्ति साने की १, वाली सोने की १, चमेली का तेल, इत्र '
बड़ा, पंचरत्नी, छोटी हड़, आमले, मुनक्ा अद्रक, उन्नाव, उद की
दाल, कचोड़ी, पूरी, आम के पत्ते, बड़ के पत्ते; पीपल के पत्ते द
डाली, छोंकर के पत्त व् डाली,, बन्दनंचार, चन्दोआ फूल्ञों का;
फल मसाला, फूल, दूबों, जनेझऊ, अनार की कली, जमनाजल, जमना
रज, कुशा, मटकेने, सकोरे, पत्तलें ७, रुईं, दियासलाईं, खंभ के केले
६, गन्ने ८, चाकू, सुवल्ती, मीठा तेल, दाल चने की, मूंग हरी, उद्द
काले दाल मसूड़, उद्द के (बड़े १०, आक की डाली, ओंगा, पान;
गोवर, गो सूत्र, दोनी १ गड्डी, रेजगारी पेसे रुपये, चोकी एक गज
लम्वी चोड़ी, छोटी चोकी ७ आध गज लम्बी चोड़ी, लोटा, .अंगूठी
सोने की, पटरा आध गज का । छुत्तर फूल्लों का, पाक स्थाली ।
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सस्मतिः
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.. आर्य सहदया वाचकबृन्द सहोदया ! विदां कुर्वन्तु तत्र भवस्तों
भवन्तोयद निखिलेप - निगसमागमेप् धस्समार्थ काम सोक्ष प्र॒त्यृतत्वे-
परपानन्द् स्वरूपाया: श्री १०८ जगदमस्वाया: कोहर्श भा.
गर्तीति । अत्एबव “कल्लो चण्डी विनायका? इत्य
शीलाः शास्त्र तत्त्ववेत्तारों महानुभावा: । परन्तु सर्वे विध '
सम्पादिता एव र॒स्त्र फल प्रदानाथ अमवन्ती: न तिर
भव्तां प्रज्चावतां पुरत: | . यंयपि नाना विधांन सप्तशदं
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