आचारांग सूत्र भाग 3 | Aacharang Sutram Bhag 1

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Aacharang Sutram Bhag 1  by घासीलाल जी महाराज - Ghasilal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र इतबारी बाजार नागपुर ता. १९-१२-५६ ' ब्रखर विद्वान जेनाचाये सुनिराज औी घासीलालनी महाराजद्वारा जो आगमोद्धारा हुआ और हो रहा है सचसुच महाराज श्री का यह स्तुत्य काये है। हमने प्रचारकजी के द्वारा नौ खञोंका सेद देखा और कह सार्सिक स्थलोंकों पढा, पढ कर विद्वान झुनिराजश्नी की शुद्ध श्रद्धा तथा लेखनीके प्रति हादिक प्रसन्नता फूद पडी। वास्तवमें सुनिरान श्री जेन समाज पर ही नहीं इतर समाज पर भी गहरा उपकार कर रहे हैं। ज्ञान किसी एक समाज का नहीं होता वह रह हे ८ न ८ ५ सभी समाज की अनमोल निधि है जिसे कठिन परिश्रम से तेघार कर जनता के सम्छुख रक्खा जा रहा है, जिसका एक एक सेट हर शाहर गांव और घर घरमें होना आनइयक है। साहित्यरत्न भोहनसुनि सोहनछुनि जन




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