बांझ धरती की कोख से | Banzh Dharati Ki Kokh Se

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Banzh Dharati Ki Kokh Se by अमृत सिंह पंवार - Amrit Singh Panvar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फूल जब अपनी : खुशबू छोड़ दे ऊ बकर- ि7 * कहा फूल जब अपनी गप्टृशवू दोड़ दे भौरों का गूजना, चिड़ियो का चहकना और तितलियों का फुदकना कुछ कम हो जाय तो समझलो उपवन में कुछ होने वाला है सूरज की तपिश में कुछ तेजी आजाय और घवराकर वह द्रत गति से अस्ताचल की ओर प्रस्थान करे तो समभझलो आकाश में कुछ होने वाला है ५ 5 ,, बा धरतो की कोख से|25 ४०. के ३८ “३7 ४८




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