मुट्ठी भर उजियालों | Mutthi Bhar Ujiyalon

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Mutthi Bhar Ujiyalon  by संजय आचार्य - Sanjay Aacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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म्हारै असूलां म्हारी सभ्यता म्हारी संस्कृति अर म्हारै मिनखापणै री इमारतां री नीवां ने आपरे तीखे पंजां सूं कर देवे पोलीफस खोखली अर कदे, जद पड़ जावे ये इमारतां भरभराय उण बखत्त, म्हैं मिनख वण जावूं हूँ मिनख दांई दीखण आव्ही एक जिनायर। मुट्ठी भर उजियाडी / 23




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