अध्यात्म रामायण | Adhyatm Ramayan

88/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अध्यात्म रामायण  - Adhyatm Ramayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भीखनलाल आत्रेय - Bhikhanlal Aatrey

Add Infomation AboutBhikhanlal Aatrey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
निवेदन सश्चिदानन्द जगदीश्वर प्रभु की असीम कृपा से आज पाठकों की सेवा में हम “गीताधस ? के बारहवें वर्ष का विशेषांक “श्री अध्यात्मरामायणांक' (तृतीय भाग ) लेकर उपस्थित हो रहे हैं। विशाछ ' गीतागोरवांक? प्रकाशन के बाद इस रामायण के प्रकाशन की उपयोगिता इस लिए समझी गई थी कि गीता के मुख्य सिद्धान्त भक्ति, ज्ञान ( तद्मविद्या ) ओर भगवद्गुण कीर्तन का विशद्‌ विवेचन इस प्रन्थ में है । एवं कथा प्रवचन आदि में श्रद्धालु जनता, संत महात्मा तथा हमार पृज्य स्वामी श्री विद्यानन्द्जी महाराज भी इस का समाश्रयण करते रहते हैं। इस लिए सोचा गया था कि गीता के चिन्तन के साथ ही अध्यात्मरामायण का विचारण भी पाठकों को रुचिकर होगा, अतः 'गीतागोरव” की कथाप्रसंगशैछ्ली पर 'रामचचा' व्याख्यानों में प्रासंगिक विषयों का स्पष्टीकरण करते हुए कई खण्डों में इस रामायण के प्रकाशन का प्रयास किया गया। इसमें प्रसन्नता है कि प्रभुकृपा से भाज हमारा वह प्रयास पूर्ण हो गया ओर इस तीसरे भाग द्वारा पूर्ण की हुई अध्यात्मरामायण को हम पाठकों की सेवा में समपित कर रहे हैं | विशेषांक को इस रूप में प्रकाशित करने का सुयोग इस प्रकार मिल्का कि इस की सामग्री भी पहले विशेषांकों की तरह' श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य ब्द्म- निष्ठ छोकसंग्रही गीतान्यास श्री १०८ जगदूगुरु महामण्डलेश्वर स्वामी श्री विद्यानन्द- भी महाराज के इतस्ततः होनेवाले रामायणप्रबचनों से प्राप्त होती रही। स्वामीजी गीता और रामायण पर ही आयः कंधथा करते हैं। उने की कथा जनता को बढ़ी ही रुचिकर एवं प्रबोध देनेवाली होंती है, यह प्रसिद्ध ही है । छोगों को पुराने प्रवचनों में भी अनूठा रस मिलता है, विशेषता यह है कि इन के द्वारा ऊँचे अध्यात्मविषयों का अध्ययन भी बातों ही बातों में हो जाते है । स्वामीजी के छोकप्रिय प्रवचनों की झोर जनता की उत्कण्ठों देखकर अनेकी छोग उन का संकठन कर छेते हैं ओर किसी अंश की पूर्ति स्वामीजी महाराज से फिंर भी करा छेते हैं। गीतासंबन्धी ऐसे प्रव- धनों का संग्रह मोतीगोरबे्क के रूप में प्रकाशित हो चुका था और अब इस विशे- पके से अध्यात्मरामायण के प्रवचनों की भी पूर्ति हो गई हे ।




User Reviews

  • Sandeep Soni

    at 2020-05-04 14:51:59
    Rated : 8 out of 10 stars.
    "only III volume I & II are not available"
    it is III volume , please available I and II volume also
Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now