योग्वासिष्ठे | Yogvasishthe

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Yogvasishthe by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जाहिरात। (गीता चिदधनान॑दस्वामिकतगगृढार्थदीपिका मूल अन्वय पदच्छेदस- हित भाषाटीका की. ८ रु० (गीता आनंदगिरिकृतभाषा दीकासह ) की, ३२० (पंचदशीसटीक) की. २॥२ ०(द्वादशमहावाक्य विवरण) की. ४ आ,(शिवस्व॒रोद्य भाषादीका)की, ३१२आ.(शिवसंहिता)भाषार्टका यो गशात्व की. ३ ० (वेद्ंतरामायण ) भाषादीका की. १॥ रु० ( श्री- रामगीता ) भाषाटकि पद्पकारिका अनुवाद समुच्रय ओर विषमपदी स- हित की० < आ० ( अपरोक्षानुशाति ) सटीक की. ८ आ, (वेदांत ग्रंथचकस वाक्यसुधारसः हस्तामलकःगीवोणपंचकम मनीषापच्क इमे सदीकाः ) की. ८ आ० (वाशिष्ठसार ६ प्रकरण) की. २॥ रु० ( न्यायप्रकाश ) परमोचम चिद्धनान॑दस्वामी रत की. ७ २० (पंचदशी ) भाषा वेदान्त आत्मस्वरूपजीकृत की. ४ रु (रागरलाकर राममाला सहित ) भजन गानेका अति उत्तम की. २२० ( विचारसागर ) निश्चल दासजी रत की. २ ₹० ( जेमिनीयअश्मेधभाषा ) परम मनोहर दोहा चोपाई छन्दबद्धमें ग्लेज रु. १॥ रफ्कागज की. १॥ रु. ( हनुमन्नादक रामगीत ) भाषाकविहृदयरामझऊत अति ललित सवेया कवित्तादि छेदबद्ध- में अति उत्तम है. की. १। २० ( एकादशस्कंध ) भाषा चतुरासकृत ओरावक विलाप्त की. ३ २० ( सूर्यपराणादि ) १९७ रलको अतिउ- त्तम कागद ओर अक्षर की. ८ आ#» (वेदांतसारभाषादीका ) छप रहाहे की. १२०( भीवाल्मीकिरामायणमलसंस्कत ओर भाषादीका सह ) अत्युत्तमछपरहाहे तथा केवल (भाषा वाल्मीकिरामायण ) भीछ- परहाहे जिसमें प्रतीकके लिये आदिअंतका छाकगी लिखाहे व सम्पर्ण होककिअंकदिखेहवें। .. पुस्तकमिडनेकाठिकाना सेमराज-श्रीकृष्णास श्रीवेंकटेश्वर'छापाखाना-सुंबई




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