हितोपदेश मित्रलामः | Hitopadesh Mitralam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
536
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. हरगोविंद शास्त्री - Pt. Hargovind Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह. कयासार
मेरे पूथे खल्सझ्य यह कक हैं. जैसे कहा भी है-“रोगणोकपरीतप' | घई
सुन द्विरल्थिक ि४हुप्रीबके लआाछृकये कारनेके छिप उप्झे पास पहुंच यो वित्रपोर
मै कइ्टा-- पहले दस मेरे आाज़ियोंका दत्थव कायोे क्योंकि ने लाति किएाओऔर
धुलमे पेरे बराबर शोनेपर सी दिया बैदबके सेराआमप तहींछोडद़हे लड़ा
मेरे कशमशुर शरीरकी दिप्ता प्रोड़कर रथापौ पशके दिए इमका घल्दन पदके
काये। बह सुत प्रसन्न हो कर दिरश्दकते पहले भम्द कपूतरीके बश्थनको कारकर
बश़ात् चिद्रसीधका धन््थत कारा |
बड़े बाप कौर छामी पथिद्रष्षी कया (१ ३ )
पुक मूड बाब ठाक्ापके किलारें स्वूतकर कुल छू और सोमेक दरक ल किले
कोरतसे कह रहा बा-- हस भुदरलेके केक कर को हे दान ४' । बह सुष शक कसी
पजकते बाबते दृछां-- कई हे तेरा वकरा | तुप्त जैसे ड्सिपर किस अकार
विश्वास किन जाय) दाग फैर्ाकर सुबर्क्करशकों दिखाते हुए बापने कहा-८
बइले मैं चुप कर था बजेक गौजाद्यपाविके सारनेते मेरे पूत्र-ल्ली सब भर
गये जौर जो दॉत-शारछूष सब तिर पक । पुृक मदत्माके टपदेशसे ह श्गाज
कर इस सुयक्न ढैंकशको किसीको देना चाहता हूँ. किल्तु 'बाथ परपुल्यको ल्वाता
है! षह विध्दा दस्त शकपर बूर कौ थाब -रर्षोंकि यतापुर्ावकों छोक'
देखा नी दिल क्ोग़ा कहे टे। दरिल्र तथा क्षपता कोई ब्षपकारी रहीं होषेले बम
सारिबक बात मैं तुम्हें पैणा चाइता हैं. अत्ता इस ताकाबमसे रतातकर हक़ ककृशको
कपे!। बह छुष बह पथ्षिक इसकी बातोंपर विद्ासकर ताक्पबर्से स्थाभावं मे
काठ दी कौचइमे फंप्रकर चिल्ता करने कृगा--“ हाथ | शदीतां शक्षपाणीतां'“
इत्पादि लीविकारोंके बचभोंके दिष्रीतत मैंपे विश्वासकर अच्छा बरद्ीं किया
बिड्ाल् होनेपर भी किप्लीका रवसाथ बडीं बदकूता। जैसे कहा सौ है--ब
चमेशार्त्र पन््तीति पैसा विचार कर दी रहाथा कि बड़ धाथ ढसे मारकर
खा गया ।
बित्राड्न ( सृग ) सुमुद्धि ( कौैषा ) तबा स्पारकी कथा (प्र ६१)
साथ देशी अस्रक्मधती बामक बढ़ा बगला शसमें पृपर भौर कौणा
बी दोस्पीसे रहते थे। पृक दिन छुग-सांफ़छरेसी भूत सवार पिदता करतेके
बहाने खघूलके विदा सल्लावपर सब । सवार और स्टराको बृफ साथ देखकर “सुप॒द्धि/
ल्यसक कौंबा घोडः--“बड कौण है ता बहा क््थों भाषा दे! श्रज्ञात हकाचार
जाओ व्यक्ति पर विश्वास नहीं करणा अाहिए। बौभैफो हस बातको सुरुकर सवार
जोकः-/जाज ! बह सेराई बह तुर्दाराहै बह विचार तो चुद शुद्धिषारे हो
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