भारतीय स्वाधीनता का इतिहास | Bharatiya Swadheenta Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाँग इतनी स्पष्ट नहीं थी जितनी तिलक और गांधी के जमाने में हुई। मंगर वह स्वतन्त्रता शिशु की पहली चीत्कार थी, वह चीत्कार जिसके साथ एक नवजात शिशु अपने जन्म की उद्घोषणा करता है] वह स्वतन्त्रता की पुकार थी। झाँसी की रानी, नाना साहेब, आदि के हृदयों में भी भारत माता का दर्द कुछ ऐसी ही अस्पष्ट स्वतन्त्रता की तड़प बनकर पहली बार उभरा | अंग्रेजों की तक संगतता का ढोंग एक बिजली की कौंध की तरह उन्हें दिखाई देने लगा । वे जान गये अपने अधिकार अंग्रेजों से लेने का मार्ग तक नहीं विद्रोह है । इस तरह भारत को छाती में स्वतन्त्रता का दर्द पहली धार उठा था। यह दर्द एक भूकम्प की तरह पूरे भारत ने भहसूस किया था। यही दर्द का नाता था जिसने एक राजनैतिक राष्ट्र का सानचित्र, अस्पष्ट मौर घुंधता सही, पहली वार भारतीय हृदयों में उक्केरा था । | अठारह सी सत्तावद की ऋान्ति / 23




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