उथली गहराईयाँ | Uthali Gahraeyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
566 KB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उथली गहराईयाँ / 27
त्तेरह
देख आदमी से आगे उसके साये हुए हैं
कि ये चिमनियों के धुएँ सूरज छुपाये हुए हैं
जो कि हमने अपने खून से बनायी थी कभी
आप उन्हीं तस्वीरों से घर सजाये हुए हैं
चिंगारी समझ कर डरते हैं जो जुगनुओं से
कल जो घर -जले थे इन्हों के जलाए हुए हैं
एक तुम हो कि हाथ पे हाथ रखे बैठे हो, और-
एक हम हैं कि अंगुली पे पहाड़ उठाए हुए हैं
सुनो बोलते नहीं हैं पर गूँगे भी नहीं हम
अपने हाथों से अपना गला दबाये हुए हैं।
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