संस्कृत व्याकरण - शास्त्र का इतिहास भाग - 1 | Sanskrit Vyakaran - Shastra Ka Itihas Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
615
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about युधिष्ठिर मीमांसक - Yudhishthir Mimansak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8 5» अं की । के के ही ऑफ करडादप अल 3 आज । 1 है आई औ पक |
( मे ) गाय १४६ । (४ ) गालव १५० । (४) चाक्रवमण २४३।
( ९) भारद्वाज (४६ | (७) शाकटायन १५७ । (८) शाकल्य १६५।
( ६ ) सेमक १७० । ( १० ) स्फोटायन १७०।
१--पाणिनि और उसका शब्दानुशासन १७४
पाणखिनि के पर्याय १७४ | बंश तथा गुरु-शिष्य १७८ । देश १८२।
खुत्यु (८३ । काल--पाश्चात्य मत १८५, पाश्चात्य मत परीक्षा १८६, अन्तः-
साक्ष्य १६०, पाणिनि के सम्कालिक आचार्य १६४, शौनक का काल १६६,
यास्क का काल १६७ | पाणिनि की महत्ता १६८। पाणिन्तीय व्याकरण
ओर पाश्चात्य विद्वान् २०० | क्या कात्यायन और पतञ्जत्नि पाशिनि के
सूत्रों का खण्डन करते हैं ? २०० । पाशिनि-तन्त्र का आदि सूत्र
१०१ । क्या भत्याहार खूच अपाणिनीय हैं ? २०४७। आाध्यायी के
पाठान्तर ९०७। काशिकाकार पर अर्वाच्ीनों के आक्रैपष २०६।
अष्ाध्यायी का च्रिविध पाठ २११ | पाशिमीय शाह्य के गरास २१४ ।
पाशिनीय दत्ब फी विशेषता २१४ । पाणिनीय तम्व पू्े तन्थों से
संक्षिप्त ११५ | आशध्यायी संहिता पाठ में रची थी २१८ । खूञपाठ
एकश्रुतिखर में था २१६ | अप्नाध्यायी में प्राचीन सूत्रों का उद्धार
२२० । प्राचीन सूत्रों के परिज्ञान के कुछ उपाय २६२ | अश्ध्यायी के
पादों की संज्ञाएं २२४ | पाणिनि के अन्य व्याकरण ग्रन्थ २५४ |
पाणिनि के अन्य अन्थ--( १ ) शिक्षा (सत्रात्मिका शोकाव्मिका ) शिक्षा-यूत्री
का पुनरुद्धारक, सत्ाक्मिका के दो पाठ, क्मेकात्मिका के दो पाठ, सखरपाठ श०४-
२८; (९) जाम्बबती-विज्ञुय &*८; (३ ) टद्विरूप कोश २०६,
पूवेपाणिनीय २२६।
६--आचार्य पाशिनि के समय विद्यमान संस्कृत वाहमय २३२
पाशिनि के मतानुसार ५ विभाग २३० । द॒ृए २२३। प्रोक्त--( १ )
संहिता २२६; ( २ ) ब्राह्मण २१८; (३ ) अनुब्राह्ोण २४३; (४) उपनिषद्
२४४; ( ५ ) कल्पसूच्र २४४; (६) अनुकल्प २४६; (७) शिक्षा २४६;
(८ ) व्याकरण २४८; (६ ) निरक्त २४५०; (१०) छन्द्शात्र रुप शः
बह है3
User Reviews
No Reviews | Add Yours...