विचार - मत | Vichar-mat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vichar-mat by जयकुमार जी - Jaykumar Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जयकुमार जी - Jaykumar Ji

Add Infomation AboutJaykumar Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पिचारमत - (पंडित पृजा ) १8 & २४ दोप त्याग # +-++औ व हु लोक मूढ़ न दृएन्त, देव पासंडि न ब्णते । , अनायतन मदाष्ट च, शफा अष्ट न रु्ते ॥ १६॥। + ज>#»+#+- इस गाथा में समाकित के , पव्चिस दोपो का नाम कहा। तीन मूढृता अनायतन पद, अष्ट मदो का नाम कहा ॥ ऐसे इन पाज्चिस दोषों से, | शकादिक आशों दोषों को, 6 ल्‍ क्‍ भव्यजीव ही डरते हैं ॥१६॥ सम्पर्टेष्टि न धरते हैं । क्‍ (| स्प््स2222222222222222::222:522:-:::: कप




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now