लावा | Lawa

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Lawa by दीपक डोगरा - Deepak Dogara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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और खुद अपना रहवर है उसका वजूद और रुह तुम्हारी छोड़ के सब कुछ फानी है रब का चूर अमर है लोगो लगता है इब्सों अब हर शै पर काबू पा जाएगा फिर भी खाली हाथ आया था और खाली ही जाएगा मन का घोड़ा बेकाबू है रब को कैसे पाएगा वक्त गुजरता जाए बन्दे होश तुझे कब आएगा इसको मोड़ सको तो मोड़ो दिल दरिया तूफ़ानी है बस इक चीज है प्यार के काबिल बाकी सब बेमानी है रब का बूर अमर है लोगो दुनिया आनी जानी है। [113




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