श्री जैन पद रामायण | Shree Jain Pad-ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
625
श्रेणी :
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No Information available about वैद्य धूलचंद सुवर्ण - Vaidya Dulchand Suarna
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्री जनपद रामायण धथम खण्ड | (९
न्जबिस+ मच्छ ने चल> रा 0 आय कप थे न को पक नक्पीनक न नवशक न
इन्द्र' तणे अथिकारे अधिफो, ठेका राज्य निशंका है |ब० ॥१५।
निमित्तिए मुज तुमपर भाख्यों, मनसा अधिक उम्राही है ।
तेडी कुदुम्ब आडउम्बरे राजा, सा कन्या तब व्याही है ।त्रण१५
पुर कुसुमांतर' नव॒रे चसावी, वासवनो* सुखमाणे है ।
धर्म सुकम करन्तां बहुलो, जन्म कृतार्थ जाणे है ।ब० ॥ १७।
एक दिवस 'कैकशी' निशाएं, सिंह सलूणों देखीयों है ।
गजकुम्भस्थल२ भेद करतो, चपने हर विसेखियों है | बज १८॥
गर्भवती सा राणी वाणी, अति असुहाणी भाखे है ।
भोडे अग कलेश करन्ती, मानघर्ण मनराखे है ।ब० ॥ १९॥
दर्पण छांडी खडने मुस देखे, इन्द्रही आण मनावे है ।
अरिशिर पाव दियू इस्यादिक गे प्रभाव जणावे है |ब० ॥२ण
प्रतिश्यखियों घर त्रास पडंतों, शुभवेला सुत जायो है ।
सहस०» चतुद्दश वर्ष प्रमाणे, अविचल' होई आयो है। च० ॥२१॥
भीपेन्द्रेग”* पूरापित परगट, माणिक नव निपायो हे ।
हार उठाई ऊचो लीघो, पहरी गले शोभायो है |ब० ॥ २२॥
देखी 'क्रैकशीः एह तमासो, अचरिज अधिक उपायो है।
'रत्नश्रवाने एह अपूरध, राणीए झूुयाल दिखायो हूँ ।बर० ॥२श॥।
राक्षस इन्द्रे 'घनवाहन ने' आप्योथो इस सुणियों है ।
पूर्वेज़ जे तवअ्च्यों पूज्यो, देव तणी परे थुणियों हे ।० ॥२४
नाग हजारे सेवित किणही, ऊपाड्यो नवि दीठो हे ।
बालक थांरो लिलाएसो, कण्ठे पहरी बेंठों है।ब०॥ रण ॥
नव माणिक मानव छुख दीसे, दशमो सहज दिखायो है ।
दर्पुख' नाम पिता तव थापे, उच्छच् अधिको थायो हे ।ब० ॥२६।
अन्न लत 3»>3>+++>+4>क+-+लज जन 5 अलनीलीक किनीक न
१ इन्द्र1 २ हाथोन कुस्मस्थर भेदतां लिए दीठ 1 ३ शाह । ३ चोदर
हजार यर्ष ( सहल-सहख ) जैनरामायणमा साष्ठा घारे इजार खष्
न प्रमाण स्णय छे 1 « भीषमेन्द्र राजाए पूध आपेखध ॥
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