क्षयादर्श | Kshaydarsha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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No Information available about हरिशंकर जी शर्म्मा - Harishankar Ji Sharmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डॉ भामिक 3... हे 5
की
हिन्दी भाषा में केदल नवीन पश्चिमीय विचारों को हो बत-
जाने घाली ज्यरोग, सम्पन्धी दो एक पुस्तकें प्रफाशित हुई हें ।
नवीम झोर प्रादीन उप्य वियारों को स्पष्ट समझाने वाली छ्वय
सम्पन्धी पुस्तकों का प्रभाव दरमारे चित्त में बहुत दिनों से खट-
कता था कानपुर के वेधसम्मेजन में ज्ञय रोग पर घत्म नियन्ध
लिशने धाल्े को पुरस्कार देने का धवन भी इस ही लिये दिया
था श्रौर प्रारोग्यसिन्धु मासिक पत्र में क्षय सम्पन्धी लेख माला
निक्ञाज्नी थी । क्ेख माज्ता को गुण प्रांदी वैधों प्रौर पत्र लम्पा-
बफफों ने छामयिक ७पयोगी शोर दिचार पूर्ण बतजाया,तब से
खयय इस विषय पर खतन््त्र नियन्ध लिपने का विचार किया।
* दमने क्षय रोग ओर उम्र की चिकित्सा-तामक निपनन््ध
लिखा झौर उसद्दी घ्रवसर पर मारे मित्र पे० धरिशंक्षर थी शर्म्मा
वेधराज ने वेथ सम्मेलन मधुरा के लिये ज्ञुयादश मामक निभन्ध
लिखा ) सम्मेजन फे पश्चात् बैधराज्ञ जी मे हमारे पाल एसे
प्रकाशित द्ोगे के लिये भेजा *' एक ओर एक ग्यारद् ” वात्ली
कद्दाघत चरिताथथ हुई । दोनों पुस्तकों के दिचार छत्तम दाममे
गये । इस छिये उप्सुद्ध घेधराज्ञ जी के निबन्ध परी प्रधानता रख
हम इस सयादश नामक निषन्घ फो प्रकाशित एर्ते है और ये-
धराज़ ओ को इस परिश्रम के दिये धन्यवाद देते हैं 1
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