अन्तरिक्ष की दुनिया में | Antriksh Ki Duniya Main

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Antriksh Ki Duniya Main by एस॰ सी॰ दत्त - S. C. Dutta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शान्त ने ऐसी चीज दूँढी है जो तांबे को शक्ति में बदल सकती है, उसी शक्ति के कारण प्रयोग करते समय उसका टव सीधा उड़ गया . - आपके कहने के बावजूद मी मुझे यह बात जँची नहीं . रुको दुति -- कर्ण ने कहा -- जो घटना सामने घंटे वह झूठी कैसे होगी ? मैंने स्वयं देखा है. हम एक उचित वाहन मैं उसका पीछा करने की योजना बना रहे है . कर्ण रुका. वढ युवती के घेहरे पर देखता रहा, पर वह चुप रहीं. वह कहता गया -- अन्तरिक्षयान के निर्माण में मेरा भी हिस्सा होगा, मेरे पास धन है तथा शान्त के पास विचार. हम प्रीष्म ऋतु से पहले ही उस यान द्वारा धरती से बहुत दूर उड़ान भरने की सोच रहे है . है तब उसने द्ुति से इस बात को गुप्त रखने के लिए कहकर जो कुछ प्रयोगशाला में उसने देखा था बता दिया. ऐसी विशेष घटना के विषय में तो उसने मुझे बताया होता -- दुति बोला. वह चाहता था मी और अब भी चाहता है. उसने तुम्हें नहीं भुलाया. में तो तुम्हें बताने आ रहा था कि उसने अपनी घुन में शैष सब कुछ त्याग दिया है. इस टेँग से ती उसकी सेहत चौपट हो जाएगी. उसे मिलकर समझाएं ? मे उपाय जानती हूँ -- उसने आह भरी -- मैं उसके सारे शरीर में अन्न ठूस दूंगी जिससे कि वह बाद में अवश्य सो जाएगा , यह सुनकर कर्ण को आश्चर्य हुआ. अमी तो तुम इन बातों को अटकलें कह रही थीं , संभवत: आपने पूरा विवरण नहीं लिया -- वह मुस्कराई 25




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