कभी चाहत के मौसम में | Kabhi Chahat Ke Mausam Men
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
668 KB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक संवाद, ...से
एक बार...एक लडकी ने, मुझसे कहा
आप वात करते समय.. डरते बहुत हैं
आशंकित...बहुत .रहते हैं !
मैंने कहा, इसलिए...कि...लोग
कुछ का...अर्थ...कुछ...लगा लेते हैं
वैसे भी, दिल से मजबूत इरादो वाला
होने के बावजूद...नहीं झेल पाता हूँ
किसी लड़की की. आँखों से...दो-चार.. होना
हालांकि...मुझे क्या .सभी को
अच्छा. लगता है...इस तरह . बीमार होना
पर, ऐसे मे .लडखडाने लगती है .जुबान
मैं भी .कुछ का कुछ .कह पड़ता हूँ
और फिर...मैं जिनसे...प्यार करता हूँ,
उन्ही से...मात्र...डरता हूँ.
वो बोली, घबराइए मत
ये लोग. .ये दुनिया...ये लडकिया
खा. तो नही जाएंगी?...ऐसा हुआ करता है अक्सर,
जान में जान आई मेरी, .मन ही मन
खुश हुआ...यह . सुन... कर
फिर भी .वो बोलती ही गई,
कभी चाहत के मौसम में ४25०
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