क्षेमेन्द्र की औचित्य - दृष्टि | Kshemendra Ki Auchitya Drishti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामपाल विद्यालकार - Rampal Vidyalakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कमनीयता का रहस्य
उक्तार्थस्थव विशेषमाह---
६
उचितस्थानविन्यासाद अलकृतिरलकृति ।
ओचित्यादच्युता नित्य भवन्त्येव गुणा गूणा ॥
अलकृतिर् उचितस्थानविन्यासाद अलकर्तु क्षमा भवति, अन्यथा-तु अलक्ृति-
व्यपदेशमेव न लभते। तद्॒त्--औचित्यादु-अपरिच्युता गुणा गुणताम् आसादयन्ति,
अन्यथा-पुनर् अगुणा एव. यदाह--
व्रमा 7] कण्ठे मंखलया, नितम्बफलके तारेण हारेण वा,
पाणौ नृपुरबन्धनेन, चरणे केय्रपाशेन' वा।
शौर्येण प्रणते , रिपौ करुणया-ना <्यान्ति के हास्यताम् ?
ओऔचित्यन विना रुचि प्रतनुते नाइछकृतिर नो गुणा ॥
कि तद ओचित्यम् इत्याह--
हि
उचित प्राहुराचार्याः सदृश किल यस्य यत् ।
उचितस्यथ च यो भावस् तदोचित्य प्रचक्षते ॥
यत्किल यस्याथ्नुरूप तद् उचितमुच्यते; तस्य भावम् औचित्य कथयन्ति ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...