रसरत्नाकर | Rasaratnakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चिता “5 सफकफफउफअस उक्‍:: नस ीययति_-_- 8” तन त-+तत+न+त-त--+++७++....०००७कज»७........... विषयानु5क्रमणिका । >>. गा अिी किन नह पा: विषय, प्ृष्ठांक सामान्य चिकित्सा « २३७ स्तम्भन क्रिया « २३७ अपतर्प्पण 208 २३७ उष्ण जल 3 »«. २३२७ ऊद्धगत रक्त पित्तका चिकित्सा ... २३७ अधोगत रक्त पित्तकी चिकित्सा ... २३८ कतिपय योग « . ३८ धूम्र प्रयोग « २३८ एलादि गुटिका हे प्रलष ... २४० भास हा ह्ड के आप ००००. ४०9 नासिकागत रक्तस्लावकी औपधि... २४० भढ़गत रक्तस्नावकी चिकित्सा २४० पायुगत रक्तस्नावकी चिकित्सा ,... २४० सतावारे घृत # के २४१ वासादि रस बल्ब .« र४२ अट्टसे श्त्यादिके रसका नाश ... २४२ चहतू वासादि थुत ..« र्र्र कामंद्व घृत २५७२ खण्ड कृष्माण्ड ढ «. २४४ वासाखण्ड कूष्प्राण्ड ... २५ ५ मगगज रस मम «« *9४६ नीलोत्पलादि २५४६ नवनोंतादि २७६ द्राक्षादि २७६ वासकादि ... २४६ कपदेक रस कद २४७७ माहेश्वर घृत «० +४८ समशकरा लोह. «««« . >४८ खण्डखाद्र लाह २७० अमताख्य लोह .« २०१२ ईति रक्तपिताधिकार: समाप्र: | रोगराज ( राजयक्ष्मा ) चिकित्सा २५५ शोषकी निरुक्ति .... «५ २५५७५ रस साादपादाााााधाधाााकाधा बाधा दाना दाााधाधाा धान बा वाभ जात: साकार कक (२३) असम न विपय. पृष्ठांक, क्षयशव्दकी निरुक्ति ... ब्न्न २५५ राजयक्ष्माकी निरुक्ति ००० २५५ राजयक्ष्मामें वीस्‍्य और मलकी रक्षा २५५ साध्यरोगीके लक्षण ... ० २५५ छागमांसादि दो गढ़ «० २७५६ पिप्पल्यादि यूष २०६ सोथे इत्यादिका छप ... २०६ त्रयोदशांग. . . २५७ दशमूलादि. . . २५७ अश्वगन्धादि कर «०० +१५७ ककुभादि ... अप २५७ पारावतादिका मांस ... . २०७ ऐलादि चूण »« २५८ सितोपछादि छेह._ «««« « २५८ लवंगादि चणे ३३ ०४. डिक तालीशादय मोदक .,.. २५५ || ज्यवनप्रास «« २६० छागलाद्र घृत गयी «. ग६२ वासावलेद डे . २६२ पंचामृत रस प २६३ वातक्षय रांगक लक्षण २६३ पित्तक्षय रागके लक्षण २६३ |! कफक्षय उोगके लक्षण «०० *६३ रत्नगर्भपोटली रस » २६४ मृगांकरस अ् २६५ अमृतश्वर रस # हेड २६५ दंखेश्वर रस »« २६५ लोकनाथ ... २६६ ॥॥ स्वल्पस्नगांक रस २६६ लोहामत ... ०० २६६ * (हरनेत्र रस कक «००» २६७ कनकसुन्द्र रस ... « २६७ भीलकण्ठ रस के «०० अ६८ २६८ >मााआ2 कभारााकक०े.. िबलब+-+> - अत




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