खरतर बृहदगच्छ | Kharatar Brihadgachchh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रतिक्रमणे, ११
नतुमग्रशादकरतेहोतबतो, क्याऔरकरकेवहयोग्यताविशेष, इसवंस्तेमतमेरा
णतुम्दपसीयह, किअन्नुणत॑चेवदेव, मामइंभवही
अपमानकर, २६, तुमारीग्रार्थनानहींहोयनिरफल, एसाहेजिन,में जाणताहूं, तोक्यों
रह, २६, तुहपत्थणनहुहोइविंहह जिण, जाणउ, कि
फेर, मेंदुःखियानिश्रे, सत्वरहित दुर्खेहोणेवाठा, उत्सुकमनफलका
पुण, हुंदुरिखिड, निरुसत्तचत्त, दुकह, उस्छुयमण,
ढालची,. एकपलकर्मेंयहभीजोकभीमिठजाय तोयहवातसबहोय,
' तंमन्नग, निमिसेणएणएडविजदलष्मइ, सर्च॑र्ज,
भूखलगेजब क्यागूलरफलताहै २७, हेत्रिशुवनखामी
भ्रुख्खियवसेणं,. किऊंबरुपचइ, २७, तिहआअणसा
श्रीपार्थनाथ, मेनेंआत्माग्रकाशीमनकीवातकही, . करोजोआपकेनिजरूपके
समिअपासनांह, महअप्पपयासिउ, किजउजनियरू
बरावर, नहींजानताहूंबहोतकहणा, दूसराकोई,हेजिन,जगत्मेंतुमारेचराब
वसरिस, . नछझंणुंवहुजंपिठ,. अन्नुण,जिण,जगतुहसमों
र, चतुरओरदयाश्रयनहीं, जोमुझेंनहींगिणोगे, तुमहीज, अहहृषडाखेद
वि, दस्खिन्नदयासल, . जइ्अवगिजन्नसि, तुंदिंज, अहह,
क्याहोजाऊंगानिरफठ्मनोरथ, २८, जोतुमारेरूपसेंकिसहीग्रेत, . पा्थयक्षव्यंत
किंहोसिहयासउ, २८, जइतुहरूविणकिणविपेअ, पा
रनेंजोमेनेंआजदेखा, एसापार्थनाथकेरूपसेंठगा,तोभीनाणताहूंहेजिनपाशवतुमनेंमुज्षेबंगीकार
इणवेलंविड, तडउजाणुंजिणपासतुम्हहुंअंगीकरि
किया, इसवास्तेमेरावांछित, जोनदींहोगा, वहतुमारीहलकाईहोगीइसवास्ते, रख्खो
यउ, इयमहइत्थिय, ज॑नहोई, सातुहओहावण, रख्खं
तेसेंनिजकीतिं,.. नहींतुमकोंचाहिये, भेरेैंसेकीअवगिणना, २९, येमेरीयात्रा
तहनियकित्ति, णेयज्वजइ,.. अचहीरंण,; रे३, एवस
हेदेवाधिदेव, इयस्नात्रमहोत्सव, जोसलल गा
हारिहजत्तदेव, इयन्हवणमहसव, , गझु
गुणोंकाग्रहण, तुमारांसुनिजनोंनें, निषेषनहींकिया, इसकारणमेरेपरक्षप
णगहण, तुम्हमुणिजण, अणिसिडड,. .इ्यमहईंपसीअ
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