खरतर बृहदगच्छ | Kharatar Brihadgachchh

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Brahd Khatrgan Panchpratikrmnasutrarth Taha16 Estrotsutrarth by अमर चंद मालकप्रेमचन्द मालक - Premchand Malak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रतिक्रमणे, ११ नतुमग्रशादकरतेहोतबतो, क्याऔरकरकेवहयोग्यताविशेष, इसवंस्तेमतमेरा णतुम्दपसीयह, किअन्नुणत॑चेवदेव, मामइंभवही अपमानकर, २६, तुमारीग्रार्थनानहींहोयनिरफल, एसाहेजिन,में जाणताहूं, तोक्यों रह, २६, तुहपत्थणनहुहोइविंहह जिण, जाणउ, कि फेर, मेंदुःखियानिश्रे, सत्वरहित दुर्खेहोणेवाठा, उत्सुकमनफलका पुण, हुंदुरिखिड, निरुसत्तचत्त, दुकह, उस्छुयमण, ढालची,. एकपलकर्मेंयहभीजोकभीमिठजाय तोयहवातसबहोय, ' तंमन्नग, निमिसेणएणएडविजदलष्मइ, सर्च॑र्ज, भूखलगेजब क्यागूलरफलताहै २७, हेत्रिशुवनखामी भ्रुख्खियवसेणं,. किऊंबरुपचइ, २७, तिहआअणसा श्रीपार्थनाथ, मेनेंआत्माग्रकाशीमनकीवातकही, . करोजोआपकेनिजरूपके समिअपासनांह, महअप्पपयासिउ, किजउजनियरू बरावर, नहींजानताहूंबहोतकहणा, दूसराकोई,हेजिन,जगत्मेंतुमारेचराब वसरिस, . नछझंणुंवहुजंपिठ,. अन्नुण,जिण,जगतुहसमों र, चतुरओरदयाश्रयनहीं, जोमुझेंनहींगिणोगे, तुमहीज, अहहृषडाखेद वि, दस्खिन्नदयासल, . जइ्अवगिजन्नसि, तुंदिंज, अहह, क्याहोजाऊंगानिरफठ्मनोरथ, २८, जोतुमारेरूपसेंकिसहीग्रेत, . पा्थयक्षव्यंत किंहोसिहयासउ, २८, जइतुहरूविणकिणविपेअ, पा रनेंजोमेनेंआजदेखा, एसापार्थनाथकेरूपसेंठगा,तोभीनाणताहूंहेजिनपाशवतुमनेंमुज्षेबंगीकार इणवेलंविड, तडउजाणुंजिणपासतुम्हहुंअंगीकरि किया, इसवास्तेमेरावांछित, जोनदींहोगा, वहतुमारीहलकाईहोगीइसवास्ते, रख्खो यउ, इयमहइत्थिय, ज॑नहोई, सातुहओहावण, रख्खं तेसेंनिजकीतिं,.. नहींतुमकोंचाहिये, भेरेैंसेकीअवगिणना, २९, येमेरीयात्रा तहनियकित्ति, णेयज्वजइ,.. अचहीरंण,; रे३, एवस हेदेवाधिदेव, इयस्नात्रमहोत्सव, जोसलल गा हारिहजत्तदेव, इयन्हवणमहसव, , गझु गुणोंकाग्रहण, तुमारांसुनिजनोंनें, निषेषनहींकिया, इसकारणमेरेपरक्षप णगहण, तुम्हमुणिजण, अणिसिडड,. .इ्यमहईंपसीअ




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