रेडियो के लिये कैसे लिखे | Radio Ke Liye Kese Likhe
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लिखते समय
घाप कह मे मने रेहियों कौ प्राजश्यव्॒ताधों और शिदमों के घगुडुल
वितय बन लिया हैं उस पर सामधी भी तै पार है भष गया किया जाय ?ै
भा इसे निगम प्रबवा पत-पतिडाप्रों में प्रझ्शित रचतामों के खमाभ
पिख शाता जाप ?” घापरे इस प्रश्तों का इतर एक बारय में देना १ठ्ति
है । एसड़े कारप पे । रेहियो के लिए लिखने दए एक विशेष दंग है
एइ दिपए भाषा-सँलौ है. उसझा पपता पृर विशिष्ट तस्द प्रववा टकमौक
है । लापास्य कप से रेहिया के लिए सिलौ जातबासी रचता को एव
कप घशन करता होठा है जो रदता हो झोता्ों का प्याय भापित झर
कड्ने भौर उसे स्थिर रतने में मपे हो ।
शैटियों शी पपनी सौगाएं पौर सप्खताएं हैं। एमसशी प्रमाव ऐटिपों
मे प्रभारित रघता के शार्ीं कर स्पक्ता करते की एसी पर पढ़ा है ।
केवत शान दी
पात पुस्तक के एस परिप्पेश को पढ़ सी हैँ । पह भाग प्रापको
ओरों के साप्यम मे प्रात हवा है ) विन््यू इक भ्पणा भाषप्यरता
होते बर घाय दयरीं से भौ इस सुतार झगरते पस्तन्भाव को
पूरा गए गाव हूँ । इसमें श्राप घरने कार्सो का प्राप्य लेते है । इस
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शैटिशे से जनारित एक्गा बा घातग्र धाप इसे शेगल बन्त ही के हाश
मुनपर खाते हे ( दिया ये प्राण ताद शम्स्न्याग है । छुपे
परण उोटिर | घरमार रू रेडियो ले इनारित रटजो बरदिता घ्रौर बटद
जजाव शा घारर शाठ वरना एताग्णग ही है 1
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