चिट्टी पत्री | Chitti Patri

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Chitti Patri by अमृत राय - Amrit Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€ | चिट्टीयत्रो साम से किताडे लेकर मेरं पास मंज टिया करेंगे । बूत में इसाहाबाद बनारस वर्मरह कौ गर्म हवा साऊंगा सजर थे शाविश-बाला मजमूत बापस मांगा था घोर क़रमाते थे कि मेने महू ठरमीस के प्षिये सेणा वा | प्रपर भ्राप उसे ध्रासामी से प्रसहदा कर पर्के यामी रही के टाकरे म पडा हुम्मा हो सो सेज दीजिये । उर्हीं के सर पटग बूँ। प्रबशों तो शायद #जरत सरपर एड्ग्ड हृपतुम' का नोदा' कद रहे होंगे । हिस्दी पर्च का जया हम्म हुप्रा ? सोती उसकी लंजबौज सटाई में पद गयी या बारो है। विकृतसे शाला हो तो हिखी विपनले दी धादत डालूँ। प्रिस्टर रामगएम की लिद्मत में मेशा गसाम कह दीमिएगा । पभ्रगयी सरस्वती से मारश बररह़ पर तीस हसबीरें घक्तौ गिफार्सी भौर मूरशरा पर मडमूत प्श्या है। भाप भी हिल्दी सिहरेचर पर मशाभीस भिए्शने का दंग निकातिये । सूरम तारायन मेहर शायर सिरसे। प्रौर शश्दीक ब हुर कौ णा एबर हो परास-पड़ोग को उसग मत्तसा कीजिय । सजर साहब में प्रपते रिसासे को बिल्लुस इसस्तामी इप पर अखाग था ब।ह्ा उटामा है। भौर हया मिगूँ। रादिण घतपतराय मात्रिस बाप्ता झजमून जब्र भजिय । श्राज फिर बाण है। जब धापर गद्दाँ उगदी पिमहात जख्रश भगहीं है तो थागे दीजिय। रपये मित्र फगे। जहद बरुबगा । १० हपात भोर दिपि ही है । प्रमुतागन' भद ११ १२ में अहोबे से सिपा पया | मपण मबरदा जनाए ॥शेटए सार जमाना हगधीम । रिसाशा जगाता का सादे ररस्भर था वर्षा दैरपर मर लिस में अर्द रायालात 7िशि हुए शिऐ घड बर हेसा मं घना एज सममता हैं । उम्मौद है वि जराब को शासशार से होगा । हग बने में जब हि गूसायूँ। प्रयलाहीर गियागी शघाशए गेर प्लोर इशामायौ* झंगालल हमारी तमामतर हंबजो के मराणएक है पके या दैशरर पर्गाय हुथा कि रिगासा उमराता था परीद है अप पर मिली गधोक हा ३१४ हर शोक रै २४ बाय ६ पारदद मरबाए अब नल ! छणकक्‍्री




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