गीताम्बरा | Geetambara

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Geetambara  by श्याम क्षोत्रिय - Shyam Kshotriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जगीलाम्वरा इस सग्रष्ट म कुल ३५ गीत हैं । इसके साथ ही विविधा के अन्तगत्त २७ छन्द मुक्त रचनाय भी ह | इस खण्ड क॑ गीता को निम्न शीषका मे रखा जा सकता है - (१) उद्वोधनमय राष्ट्रीय गीत- यथा- नया दिनकर अपना देश कोटि-कोटि हम आज साथ है देश के तरुण उठो जाग-जाग भारती सूरज हमे बुलाना होगा दीप हूँ माँ भारती की आरती का आदि। (२) विविधगीत- यथा- ध्वज वन्दन मुक्ति-पव जय-गान प्रेमचन्द जयन्ती पर विष और अमृत नव वर्ष अभिनन्दन के गीत आदि। (३) प्रकृति चित्रण के गीत- यथा- आगया बसन्त जा रही सन्ध्या गगन मे मृक शिशिर की रात आच्धेरी स्वागत हे ऋतुराज आदि । (४) छन्‍्द मुक्त रचनायें- यथा- जनम जनम त्तक विवशता मैं गलत मोड मुड गया ऑसू बलात्कार आदि। इनमे जीवन चिन्तन परक व अनुभूतयथार्थ की रचनाये सम्मिलित हैं 1 श्री श्रोत्रिय यद्यपि ब्रज प्रदेश के निवासी हैं किन्तु उनका कर्मक्षेत्र सम्पूण शिक्षा सेवा काल में राजरथान रहा है । वैसे उनका जन्म स्थान भी अजमेर राजस्थान है । ब्रज प्रदेश की वष्णव-परम्परा और राजरथान की शौय-परम्परा दोनो का प्रभाव इनकी रचनाओ मे झलकता है । निम्न गीतों की ओजस्विता दशनीय है- भूख गरीबी बेकारी को श्रम से दूर भगाओ देश-द्रोह जो करे नराधम सूली उसे चढाओ । दुश्मन घरके द्वार खडा हो उसको सबक सिखाओ अर्जुन-भीम-भीष्म के वशज माँ की लाज बचाओ। ये वीरों का देश मुक्ति-सन्देश है ये इससे प्यार हमको। अपना देश है - इससे प्यार हमको ।। (अपना देश) ९ त्तस्करो के गरल दन्तु कील कप हे कल गर | ०८ £ फर्म -भाषा के तह ठाहव ढ्ाह9 नाग पर जो वेश/को-जली रहे ५.१० ॥2/0९ ) कली 9०े ९1%




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