गीताम्बरा | Geetambara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जगीलाम्वरा
इस सग्रष्ट म कुल ३५ गीत हैं । इसके साथ ही विविधा के अन्तगत्त २७
छन्द मुक्त रचनाय भी ह |
इस खण्ड क॑ गीता को निम्न शीषका मे रखा जा सकता है -
(१) उद्वोधनमय राष्ट्रीय गीत- यथा- नया दिनकर अपना देश
कोटि-कोटि हम आज साथ है देश के तरुण उठो जाग-जाग भारती सूरज हमे
बुलाना होगा दीप हूँ माँ भारती की आरती का आदि।
(२) विविधगीत- यथा- ध्वज वन्दन मुक्ति-पव जय-गान प्रेमचन्द
जयन्ती पर विष और अमृत नव वर्ष अभिनन्दन के गीत आदि।
(३) प्रकृति चित्रण के गीत- यथा- आगया बसन्त जा रही सन्ध्या गगन
मे मृक शिशिर की रात आच्धेरी स्वागत हे ऋतुराज आदि ।
(४) छन््द मुक्त रचनायें- यथा- जनम जनम त्तक विवशता मैं गलत
मोड मुड गया ऑसू बलात्कार आदि।
इनमे जीवन चिन्तन परक व अनुभूतयथार्थ की रचनाये सम्मिलित हैं 1
श्री श्रोत्रिय यद्यपि ब्रज प्रदेश के निवासी हैं किन्तु उनका कर्मक्षेत्र सम्पूण
शिक्षा सेवा काल में राजरथान रहा है । वैसे उनका जन्म स्थान भी अजमेर
राजस्थान है । ब्रज प्रदेश की वष्णव-परम्परा और राजरथान की शौय-परम्परा
दोनो का प्रभाव इनकी रचनाओ मे झलकता है ।
निम्न गीतों की ओजस्विता दशनीय है-
भूख गरीबी बेकारी को श्रम से दूर भगाओ
देश-द्रोह जो करे नराधम सूली उसे चढाओ ।
दुश्मन घरके द्वार खडा हो उसको सबक सिखाओ
अर्जुन-भीम-भीष्म के वशज माँ की लाज बचाओ।
ये वीरों का देश मुक्ति-सन्देश है ये इससे प्यार हमको।
अपना देश है - इससे प्यार हमको ।।
(अपना देश) ९
त्तस्करो के गरल दन्तु कील कप
हे कल गर | ०८
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नाग पर जो वेश/को-जली रहे ५.१० ॥2/0९ )
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