वृक्ष दीवार और अंधा कुआं | Vraksh Deewar Aur Andha Kuaan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
482 KB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रीतम सिंह राही - Preetam Singh Raahi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरा घर
कोई भी मकान ऐसा नहीं
जिसे मैं अपना घर कह सकूँ
जिस भकान में मैं रहता हूँ
वह मेरा घए/नहीं
एक कब्र है
जितमें दिन की थकान के बाद
में आकर लेट जाता हूँ.
यदि यह मकान मेरा घर होता
तो इसकी दहलीज
मेरी प्रतीक्षा में रत होती
इसकी महराबें
मेरे स्वागत में अपनी बाहें फैला देती
मुझे अपने आलिंगन में कस लेती
और भरा पूरा प्यार देती.
इस मकान की दीवारें
कारागार से कम नहीं
मकान यदि घर हो तो मां के
शर्भाशय की त्तरह होता है ,
जैसे मां के गर्भ में भ्रूण सुरक्षित रहता है
घर भी उसी तरह सुरक्षा देता है
जिसमें पहुँचकर बाहर की सभी चिंताएं मिट जाती हैं.
घर कैसा भी हो
दीवारें कच्ची अथवा पक्की हों
|
चृक्ष, दीवार और अंघा कुआं २५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...