वृक्ष दीवार और अंधा कुआं | Vraksh Deewar Aur Andha Kuaan

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Book Image : वृक्ष दीवार और अंधा कुआं  - Vraksh Deewar Aur Andha Kuaan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेरा घर कोई भी मकान ऐसा नहीं जिसे मैं अपना घर कह सकूँ जिस भकान में मैं रहता हूँ वह मेरा घए/नहीं एक कब्र है जितमें दिन की थकान के बाद में आकर लेट जाता हूँ. यदि यह मकान मेरा घर होता तो इसकी दहलीज मेरी प्रतीक्षा में रत होती इसकी महराबें मेरे स्वागत में अपनी बाहें फैला देती मुझे अपने आलिंगन में कस लेती और भरा पूरा प्यार देती. इस मकान की दीवारें कारागार से कम नहीं मकान यदि घर हो तो मां के शर्भाशय की त्तरह होता है , जैसे मां के गर्भ में भ्रूण सुरक्षित रहता है घर भी उसी तरह सुरक्षा देता है जिसमें पहुँचकर बाहर की सभी चिंताएं मिट जाती हैं. घर कैसा भी हो दीवारें कच्ची अथवा पक्की हों | चृक्ष, दीवार और अंघा कुआं २५




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