द्रव्य गुण विज्ञानका | Dravya Gun Vignan Purvardhamu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य ट्रिकमाजी ज़दवाजि वैद्य - Acharya Trikmaji Jadwaji Vaidya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थ् निवेदन
आशा है कि द्वव्यगुणविज्ञानका यह पूर्वा्य, इस श्रन्थके उत्तराधमें औषध और
आहारदब्योंके पारिभाषिकशब्दोंमें संक्षेपसे लिखे हुए गुण-कर्मोको सोपपत्तिक समझनेमें
विशेष उपयोगी होगा ।
पाठकोंको प्रन्थके प्रारम्भमें दिया हुआ भारतीय द्वव्यगुणविज्ञानका द्गद्शन कराने-
वाला उपोद्धात तथा परिशिष्ट ३ में दिया हुआ आयुर्वेदिक तथा आधुनिक
द्रव्यगुणविज्ञानपर तुलनात्मक विचार यह निवन्ध प्रथम देख लेना चाहिए ।
इस ग्रन्धके प्रूफ देखनेमें मेरे प्रिय शिष्य श्री ओछबवछाल नाझर आशुर्वेदमहा-
विद्यालय(सूरत)के वाइस ग्रिन्सिपल तथा शारीरक्रियाविज्ञान, आयुर्वेदीय
पदार्थविज्ञान आदि ग्रन्थोंके लेखक श्री रणजितरायजी आयुर्वेदालड्भारने
बड़ी सहायता की है। अतः में उनको धन्यवाद देता हूँ ।
काशीके सुप्रसिद्ध ग्न्थप्रकाशक और पुस्तकविकेता श्री मोतीकाल बनारसीदास
पुस्तकालयके संचालक श्री. सुन्दरछालजीने कागज और छपाईकी मँहगाईके
समयमें अपना प्रेस होते हुए सी मेरे आग्रहसे बम्बईके सुप्रसिद्द निणेयसागर
प्रेसमें इस प्रन्थकों छपवाकर प्रसिद्ध किया हैं, इसलिये मैं उनको भी धन्यवाद देता हूं ।
ग्रन्थके संकलन करने, भाषानुवाद करने और छपवानेके विषयमें वने इतना यत्न
किया है । तथापि अनवधानता, प्रमाद, भ्रम आदिके कारण अनेक त्रुटियाँ रहना संभव
है। यदि विद्वद्वण इन त्रुटियोंको ढिख मेजनेका कष्ट करेंगे तो अगले संस्क्रणमें उनको
घुधारनेका यत्र किया जायगा ।
ता. 244 ९७५२ | निवेदक
डॉ, विगास स्टीट €
बंबई जादवजी'
बंबई में. २ वेद्य जादवजी तिकमजी आचायये
User Reviews
No Reviews | Add Yours...