सीढियाँ चढता सूरज | Seedhian Chadhta Surya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
891 KB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सीढ़ियां चढ़ता सूर्य
रूपकली
रूपकली खिली
स्नेह - बृत पर
मौसम ने थपकी दी - जिओ
सिन्दूरी किरण ने दी आशीष - आमंदित रहो
अलख सबेरे विहग-कल-कूज-गान ने
दिशाओं को झकृत किया
अमराई में बही बयार-धीरे-धीरे
बसनन््त-आगमन का किया शंख-नाद
टेसू के फूलों से सजी डाल हिली
रूपकली खिली।
नदी हो या सागर-तट
पर्वत, उपत्यिका, घाटी, पर्वत
सिवान या शहर
एक चर्चा है - चौपाल और फुटपाथ पर
चलो अच्छा हुआ
गई शीत सिहरन
आई वासन्ती बेला
पेड़ों को नव पल्लव-रूप कथा मिली
धरती को फूलश्री, अलिन्द को मधु-पंशग
'जनजन को
उल्लास, मधुता, प्रेम-राग
और जड़ता को पतझर-अवहेला मिली
रूपकली खिली।
कलकत्ता, 1 फरवरी, 3990
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