सीढियाँ चढता सूरज | Seedhian Chadhta Surya

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Seedhian Chadhta Surya by स्वदेश भारती -Swadesh Bharti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सीढ़ियां चढ़ता सूर्य रूपकली रूपकली खिली स्नेह - बृत पर मौसम ने थपकी दी - जिओ सिन्दूरी किरण ने दी आशीष - आमंदित रहो अलख सबेरे विहग-कल-कूज-गान ने दिशाओं को झकृत किया अमराई में बही बयार-धीरे-धीरे बसनन्‍्त-आगमन का किया शंख-नाद टेसू के फूलों से सजी डाल हिली रूपकली खिली। नदी हो या सागर-तट पर्वत, उपत्यिका, घाटी, पर्वत सिवान या शहर एक चर्चा है - चौपाल और फुटपाथ पर चलो अच्छा हुआ गई शीत सिहरन आई वासन्ती बेला पेड़ों को नव पल्‍लव-रूप कथा मिली धरती को फूलश्री, अलिन्द को मधु-पंशग 'जनजन को उल्लास, मधुता, प्रेम-राग और जड़ता को पतझर-अवहेला मिली रूपकली खिली। कलकत्ता, 1 फरवरी, 3990




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