मिताक्षरा सटीक आचार्यध्याय | Mitakshara Satik Acharadhyaya Ka Mulsahit Bhasha Anuvad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिताक्षरा स० आचाराध्याय का सचीपत्र ॥'
रा, सन फट
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महददागणपत्यादिफलपः ॥ र८३ 1 च्रेर
मनचियोंक लब॒ण राज्यक्ा
दिदार उपधाशोधन ॥ ३११ | ऐ०
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घानफाल शोर यानऊ सम्बन्ध
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याच्पल्प्थी यशास्त्रकों परिभाषा
उत्तम सध्यम ग्रधम देष्ड ३४ | ३९५४
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राजाकों भ्राश्योथिक्रों आदि ३०७८ से
विद्याओं का सयद्द करना ॥ * इरेग्ठक
राजा को दुयदायफ व्यसन
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राजाका स्पभाष ओरे प्रजा को। ३३३ से | ऐं० | ३३३ से
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राजाश चयाय - प्रजा पौड़ा | ३३८ से | में० | ०
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राजनीति पट्मणर्सान्धोरेपद्द
आदि इ४९ | छे० | ७»
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वेद पढ़ने को अष्रधि बानों
वर्ण को ॥ *
रण भो विद्याओं का नित्य पाठ
करने के फल ॥
पियाह करना पर ऐसी स्वोसे
करना ॥
परके ऐसे लद॒थ दो तिसकों
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पिध्ाइ में दिये और चाये हुये
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घनरा चर्चा .. पर परोता ॥ ह जप
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पिषाद्दो के अनुक्ल्प पहिली है
रंगों के अनुसार ॥ ३०१ ब्रिदेश| १० 1०
पिषाद्देके आठ भेर ब्राह्मआदि | १८ से | +% के
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घ्यभिचारिषीक्राथधिशरदरना| ४० है।
व्यभिचारसेशदिओऔर गर्भयेत्याग॥| ८३ शिँ३| ९ ०
जिपाद फरनेफ फल श्वियोँ फो
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बर्ण सकर प्रतिलोम छातों फो
उत्पत्तिसत चैदेस्टिफ ध्यांदि ॥ ईई 9
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बेद पठनेफरीमर्यादें ग्रोरसमय॥| १४ + कक
बिका इतने ऊन््ने को
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विद्यादिद्ीनफोप्रतिएदचइ लेना॥| २०१ इ०्१ ०
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शृदि श्रादुक्तों झसस्त विधि ॥| २४८ ३२१६
विघनऊारक देगविंधने'फेशारण४॥ २६० घए+० 1०
फिघनज्ञपक्र शत - जिएतां फे | २०१ से फ
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पिशुनज्ञापक प्रायउदेतु - बा| सुप्श्से है
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विपनशान्तिक लिये विनायर। २६६ से के |
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