भारत में पुस्तकालयों का उद्भव और विकास | Bharat Me Pustkalayo Ka Udhbhav Our Vikash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)>र-
(3) छ्वाघीन मारत
भारत मै अंदेदी प्राउत के डिस्ड बौरे-पीरे श्वतता में शिश्रोह की भाषणा
प्रबष्ठ होठौ बई । घत् १८५७ ई* में स्वा्॑प्य-भान्दौत कौ पहली बिसबारी फूट
हुऐप अंग्रे्ों ने इसे सिपाईो शिररोह' कह कर बड़ी निर्ममतापूकक इगा दिया।
प्रास्दौप राष्ट्रीय कांग्रेस की सस््वापता अम्दई मैं सम १८८५४ में हुई। इसका
उत्तऐेत्तर शिकाश्ष होता तगा ! जंत में महात्मा भांभी के नेतृत्व में १५ अगस्त
(९४७ ई* को मारत को अंप्रंशों के फ्रौ्वपी पंगे से भुगित मिन्री किश्यु देख
हिल्दृप्ताव और पाकिस्तान दो भाणों में बंट रूपा । मारठ पे प्रजाताधिक प्रभादी
जे करत इक ही शषरकार स्थापित हुए । उसने अपनी प्रवम प्रंचभर्योस ग्रोजठा
में देश के अनेड़ शेज्ों म कसी गिकाप किसा है | अब डितीय च्षर्पीन पोजता चढछ
रही है। एस मोजगार्मों में पुस्तकारयप के मिम्पस जय ओर भी पर्माप्त प्यान
हिमा घण है )
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