किस बसंत का फूल चुनुं | Kis Basant Ka Phool Chunun
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
670 KB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कया गांव था मेरा वह
क्या गाव था मेरा वह
जहां नासारन्शो की देहरी पर
गोधूलि की मधुर गंध
दिया करती थी दस्तक.
कितनी आतुर रहती थी
गलरज्जु तुडवाती बछिया
आलिंगन को
मात विरह के दुखद क्षणो को बिसराती सी.
कितना पुर सुकून था - वह
दिवस का अवसान - जब
लौटता हरनाथ
खुशी-खुशी सा
थका-थका सा
डाले अलगोजों का बोझ कांधे घर
रंभाती गायों के पीछे बहुत उतावला
क्या गांव था मेरा वह
जहां पनघट पर
भरता था पानी का मेला.
भर मटकी घर आठो
अल खाती भौजइया
धारा शीतल जल सी
हरियाये खेतो की
वो सरदाई राते
भूल कभी पाऊंगा इसको ?
'फसलो मे डूबा मनुज
जिसे सींचता
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