शब्द सेतु | Shabd Setu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिद्धलिंगैया 11
समा ५4५५4 सनम सन.» ५) पान ५ नमन नम ५५++न+ नाई ननन+++ममुहाआ नम नाना नमन पाक नमन न मान.
प्षिर पर ऐर रख भाग गए
मुझे लगा कि वे मेरे टुकड़े-टुकड़े कर रहे थे
मेरे हाथ, मेरे पर, मेरी दस उँगलियाँ और मेरे अँगूठे
हज़ारों मेरे वाल, मेरी नाक, मेरा मुँह
भेरी बत्तीसो उड़ रही थी हवा में
उन्होने बना दिया मेरी हड्डी का चूरा
अपने बूटों तले
भेण धर्य ख़त्म हो चुका था
मेरा अध्ययन-मनन काफ़ूर हो गया
बदी रही मेरी उगवाज
'मुर्दावाद! 'मुर्दाबाद', में उन्हें डराने के लिए चिल्लाया
“हूँ उन्होंने कहा
निकाला एक सूजा और सुतली
सिल दिए मेरे होठ
और लगा दिया ताला
गर्दन भरोड़ते है
कूटते है सिर
आवाज़हीन गले मे
सिले हुए होठो में से घुसेड़ते हैं खाना
वेदा होने के समय की-सी नंगी देह को
रस्सी से बाँध कर धर धर घसीटा
अगिया मसान-से
अँधेरे मे
हाथ में चाँदी की तलवारे ले
घेरे बाँध नाचते हैं
बीहड़, जंगल, पहाड़, पठार सब पार कर
घसीट ले गए मुझे एक खुली जगह
जिस के आसपास थे भौंति-भौँति के बाग
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