एक मुट्ठी धूप | Ek Mutthi Dhoop

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ek Mutthi Dhoop by बी॰ आर॰ प्रजापति - B. R. Prajapati

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बी॰ आर॰ प्रजापति - B. R. Prajapati

Add Infomation AboutB. R. Prajapati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बट पंदे में २ द्ठ् द्‌ यहू आदमी बिल्कुल भूखा है झौर ऐस ही न जाने कितने बेहिसाब लोग । सौत-- छिपकली की तरह उन पर नजर गडाये बैठी है ! वह आदभी छत्तीस व्यजन खाकर अफ्रा रहा है डकार लाने के लिय घ्रन फाकता है ! एक झादमी और है-- जो भूख लगने पर खा लेता है फोपता, बचौडी या कुछ भी ! क्योकि उसके पास कुछ चव्निया हैं, पदे में छऋझ [1 १६




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now