आत्मा निर्वासन तथा अन्य कविताएं | Aatma Nirvasan Tatha Anya Kavityan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
767 KB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कलाएँ अपनी कुजी से
उनके द्वार खोलते हुए थकती हैं,
द्वार पर द्वार, द्वार पर द्वार,
द्वार पर द्वार, अनन्त द्वारों पर द्वार;
वे जो दुनियाएँ अवखोजी रह गयीं
कम रहस्यपूर्ण नही थीं,
उनसे जी खोजी गयीं;
और व्यक्तिगत दुनियाओं का विसर्जेन---
फिर उन्हें छौटाकर लाने का द्वार
बन्द कर देती है, क्षतिपूर्ति अच्म्भव है ।
गूंजते रह जाते हैं संवेदनशील शब्द,
जिनसे फिर आने वाले लोग
अपनी-अपनी दुनियाओं का
नया सृजन करते हैं ।
सृजन करते हैं भेरे-तुम्हारे
ओर हमारे व्यक्तिगत जगत जो शब्द,
उनमें हैं कितना सामझञस्य, कितना विरोध है,
कितनी लय और कितनी अलय है,
इस' पर निर्भर हुआ करता है
भये विश्व-बोध-काव्य का सौन्दर्य ।
हम सब शब्द हैं, संगत-असंगत,
सार्थक-निरथेंक, सब अपनी गरिमा में
मस्तक उठाकर उद्यत हैं अपनी जगह पाने को
ओर इस काव्य को कोई सही रचता :
दब्द स्वयं संघर्य या सन्धि कर
अपनी-अपनी जगह वना लेते है जुटकर
और हर बार नयी-नयी छगती है
आत्मांशन्सी प्रिय एक महाकाव्य-सी दुनिया 1
(१६६३)
सर
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