द्यानत विलास | Dhyanat Vilas
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.06 MB
कुल पष्ठ :
576
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यानत विलास। | १७
धान ध्ाााााााााा्ाााााापाााथा आधा था
सन लाय । यानत श्रौोसर बीत जायगो, फेर न
८ कद उपाय ॥ हमको० ॥ ४ ॥
(२८)
ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी, नेमिजी ! तुम ही हो
ज्ञानी ॥ टेक ॥ तुस्दीं देव गुरु ठुम्दीं हमारे, स-
कल दरब जानी ॥ ज्ञानी० ॥ ९ ॥ तुम समान
कोउ देव न देख्या, तीन भवन छाती । आप
तरे सवजीवनि तारे, समता नहिं आनी ॥ ज्ञानी ०
: ॥ २॥ झौर देव सब रागी ही, कॉँसी के
_ सानी । तुम हो वीतराग अकषायी, तजि राजुल
रानी ॥ ज्ञानो- ॥ ३॥ यह संसार दुःख ज्वाला
तजि, मये सुकतथानी । द्यानतदास निकास ज-
गततें, हम गरीब प्रानी । ज्ञानी० ॥ ४ ॥
(२६)
देख्या मैंने नेमिजी प्यारा ॥ टैक ॥ मसूरति
ऊपर करों निठावर, तन घन जीवन जोवन सा-
रा ॥ देख्या० ॥ १॥ जाके नखकी शोभा आगें
, कोटि काम छवि डारों वारा । कोटि सेंख्य रवि
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