द्यानत विलास | Dhyanat Vilas

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Dhyanat Vilas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यानत विलास। | १७ धान ध्ाााााााााा्ाााााापाााथा आधा था सन लाय । यानत श्रौोसर बीत जायगो, फेर न ८ कद उपाय ॥ हमको० ॥ ४ ॥ (२८) ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी, नेमिजी ! तुम ही हो ज्ञानी ॥ टेक ॥ तुस्दीं देव गुरु ठुम्दीं हमारे, स- कल दरब जानी ॥ ज्ञानी० ॥ ९ ॥ तुम समान कोउ देव न देख्या, तीन भवन छाती । आप तरे सवजीवनि तारे, समता नहिं आनी ॥ ज्ञानी ० : ॥ २॥ झौर देव सब रागी ही, कॉँसी के _ सानी । तुम हो वीतराग अकषायी, तजि राजुल रानी ॥ ज्ञानो- ॥ ३॥ यह संसार दुःख ज्वाला तजि, मये सुकतथानी । द्यानतदास निकास ज- गततें, हम गरीब प्रानी । ज्ञानी० ॥ ४ ॥ (२६) देख्या मैंने नेमिजी प्यारा ॥ टैक ॥ मसूरति ऊपर करों निठावर, तन घन जीवन जोवन सा- रा ॥ देख्या० ॥ १॥ जाके नखकी शोभा आगें , कोटि काम छवि डारों वारा । कोटि सेंख्य रवि




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