सूक्तिसुधाकर [सानुवाद] | Suktisudhakar [Sanuvada]

Suktisudhakar [Sanuvada] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1....2सीक-०+रीक-1०कक-.+ ०५.4० ७-५०-८ 4-२७ कमिकप -बमिकन०- अर 2-७ शक ०+िकज किक किक ०5 3-२3 3-४-क कप किक ० ० . मुखश्रियान्यकक्ृतपूर्ण निरमेलामृतांशुविम्बाम्बुरुहोज्ज्वलश्रियम्‌+ . अचुद्रएरधाम्बुजचारुढोचन स्विश्रमश्रूलतपुज्ज्वलाधरम्‌ । । _ झुचिणख्तित कोमठुणण्डप्रु न्नस॑ ललाटपर्येन्तविलम्बितालकम्‌ ।क : स्फुगत्किगीटाड्दहारऋण्टिकामणीन्द्रकाश्वीगुणनू पुरदिमभिः । .. श्थाड्गशब्वासिगदापनुवरलेसत्ततलस्था वनमालयोज्ज्वलमू ॥# . चकथ्थ यस्या मत झ्ुुजान्तरं तब प्रिय धाम यदीयजन्मभूः । .. जगत्समग्र॑ यदपाड्ुसंश्रय॑ यद्थंमम्भोविरमन्थ्यबन्धि च ॥# . खान्वरुप्येणः सदानुभूतयाप्यपूववह्िसयमादधानया | .._शुणन रूपेण विलासचेष्टितेः सदा तवेबो चितया तव श्रिया ३६% .. शद्भुसहश ( उन्नत ) श्रीवा मनोहर मांदूम होती है; जो अपने मुंखंकी . शॉमासे निर्मल पूर्णचन्द्रविम्ब तथा श्वेत कमलकी कान्तिको तिरस्कृत _ कर रहे हैं; खिले हुए सुन्दर पद्मके समान जिनके मनोहर नेत्र हैं, . विलासमयी भोंहें हैं, अमल अधर हैं, मधुर मुसकान है; कोमछ .. कपोछ, ऊँची नासिका ओर भालदेशमें छठकी हुई अछकें हैं [ ऐसे ... आपको मैं कब आनन्दित करूँगा ! ]॥ ३२-३३ ॥ ग्रकाशमान किरीठ, : भ्रुजंबन्द, हार; कण्ठी) जड़ाऊ रलोंकी किड्लिणी ओर नूपुर आदि... आभूषणोंसें, दशह्ु चक्र, गदा। खड्ढ ओर धनुष आदि दिव्य आयु्धोसे तथा तुल्सीमत्री वनमाछासे आप सुशोमित २४ ॥ आपने अपनी _ श्रुजाओंका मध्यभाग ( हृदय ) ही जिसके लिये निवास-मन्दिर बनाया;




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