सूक्तिसुधाकर [सानुवाद] | Suktisudhakar [Sanuvada]
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
161 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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. मुखश्रियान्यकक्ृतपूर्ण निरमेलामृतांशुविम्बाम्बुरुहोज्ज्वलश्रियम्+
. अचुद्रएरधाम्बुजचारुढोचन स्विश्रमश्रूलतपुज्ज्वलाधरम् । ।
_ झुचिणख्तित कोमठुणण्डप्रु न्नस॑ ललाटपर्येन्तविलम्बितालकम् ।क
: स्फुगत्किगीटाड्दहारऋण्टिकामणीन्द्रकाश्वीगुणनू पुरदिमभिः ।
.. श्थाड्गशब्वासिगदापनुवरलेसत्ततलस्था वनमालयोज्ज्वलमू ॥#
. चकथ्थ यस्या मत झ्ुुजान्तरं तब प्रिय धाम यदीयजन्मभूः ।
.. जगत्समग्र॑ यदपाड्ुसंश्रय॑ यद्थंमम्भोविरमन्थ्यबन्धि च ॥#
. खान्वरुप्येणः सदानुभूतयाप्यपूववह्िसयमादधानया |
.._शुणन रूपेण विलासचेष्टितेः सदा तवेबो चितया तव श्रिया ३६%
.. शद्भुसहश ( उन्नत ) श्रीवा मनोहर मांदूम होती है; जो अपने मुंखंकी
. शॉमासे निर्मल पूर्णचन्द्रविम्ब तथा श्वेत कमलकी कान्तिको तिरस्कृत
_ कर रहे हैं; खिले हुए सुन्दर पद्मके समान जिनके मनोहर नेत्र हैं,
. विलासमयी भोंहें हैं, अमल अधर हैं, मधुर मुसकान है; कोमछ
.. कपोछ, ऊँची नासिका ओर भालदेशमें छठकी हुई अछकें हैं [ ऐसे
... आपको मैं कब आनन्दित करूँगा ! ]॥ ३२-३३ ॥ ग्रकाशमान किरीठ,
: भ्रुजंबन्द, हार; कण्ठी) जड़ाऊ रलोंकी किड्लिणी ओर नूपुर आदि...
आभूषणोंसें, दशह्ु चक्र, गदा। खड्ढ ओर धनुष आदि दिव्य आयु्धोसे
तथा तुल्सीमत्री वनमाछासे आप सुशोमित २४ ॥ आपने अपनी
_ श्रुजाओंका मध्यभाग ( हृदय ) ही जिसके लिये निवास-मन्दिर बनाया;
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