मेरी जीवन यात्रा | Meri Jivan Yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
453 KB
कुल पष्ठ :
33
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ईरान से श्र
मत करो। उनके फ्वक्ड स्वभाव से भी मैं परिचित हा चुका था । तेहरान
विश्वविद्याल्य वे समीप ही तिमहल पर दा काठरियाँ उहांने छे रखी थी।
बहुत मामूठी सामान था। एक नोकरानों ( रुकया ) थी जा साना बंता
दिया करती थी। महम्ृद नौ बजे दपतर चले जात थे उन्हान एक ईरानी
सौदागर व' साथ कुछ बारवार णुरू क्या था। मैंयात्तावीजेके लिए
बारिटा बरन ब्रिटिय तथा सावियत-दूतावास का चवकर लगाता या वही
से युछ पुस्तकें पदा करने पढता। महमूद के आन पर कभी हम दीमियाद
माहव के यहाँ जाते और कभी दाइडल इस्लाम व यहाँ। उनकी सौतरी
माँ और पिता के घर भो जाते थे । उस समय युद्ध वे कारण तेहरान मे
भारतोय सना भी काफी सख्या मे मौजूद थी इसल्ए क्मी-क्मी भारतीया
से भी मिलन चरे जाते। तहरान मे अमरिबन, अप्रेजी, फ्रेंच और रूसी ही
नहीं बुछ हिन्दा पिल्म भी दिसाय जाते थे । हिंदी फिल्मों में “पिस्तौर
वाली जसे बहुत नीचे दर्जे क फिल्म हो अधिक थे ।
एव दा सप्ताह ता मुझे यह बहुत बुरा मालूम होता था --तिं मैं कया
अपन दस्त पर अपना भार डार रहा हूँ, विन्तु पीछे उनव स्वभाव स
जधिव परिचित हान व वाद वह संकोच जाता रहा) दाइउल इस्लाम की
जयप्ठ बाया जाहिरा न एव टिन उम्मानिया विश्वविद्यालय वा एम० एु०
बे अपन निवाघ पा सुनाया। मुटठ़ा या पुरान पडिता जसी खाज थी--
जगा एपेश्वरवाटी था। बह ईरान व अखामनी (दारा) खानदान से पटा
हुआ था। उसने परसपाष्टिस के वारागरा था बुझाउर भारतवष म इमारतें
बनवाई थीं। अपार का दाटा चाडगुप्त ईशन व नगर मूर से भाग कर
आया था, जा हि परमेषारिसि ( तस्वजस्गीद ) वा हा दूसगा नाम था।
अगाक बौद्ध नहीं था। अजन्ता वी गुफायें बोद विहार नही थे, वल्कि पुर-
बणी और दुसर दवियनी राजाओ या चित्रणालायें हैं जिनम उतरी वास्त
विर जीवन और इतिहास लिया हुआ है। उनता बुद्ध और बौद्ध मिलुआ
स भाई सम्बंध नही बुद्ध न ता चित्र और मूर्तियाँ दनानो मना वर दी थीं,
फि्रियोद भिश्ु इहें कस बना सतत थे २ यट श्गारी मूतियाँ और चित्र
बोद लिुआ गे यनाय गभी नहीं हा सवत । मैन बड़े घैय से जाहिरा सानस्
के निवाय या सुना । भुसे आच्चय हाता था उममानिया विश्वविद्याए प मे
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