श्री सन्धिचन्द्रिका | Shri Sandhichandrika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यक्चनन्सन्धि २१
गवुत्सवः । गवेश्रथंम् | सवतावी । स्तावकः |. स्थृतावा । धश्ावयिष्यति ।
भावुकः । गये । जनावौ ।
१०, ययिह । श्रियायुथ्तः | विधावुदिते ।
११, केपि । देवोषि । पण्डितोसौ ।
१२, गवायनम् । गवोद्धः ।
३. गवेन्द्र: ।
१४, एहि मित्र ३ अन्न पठेव । आगच्छ राम ३ इह मेथिली पुष्प॑ सब्चिनोति ।
१५. कवी इमोी । शम्भू आगच्छतः । बालिके अभीयाते ।
१६, अमी अश्नन्ति । अमू आर्ताम् ।
१७. अथों अपि | अहो आगतः ।
१८. आ एवं नु मन््यसे | उ उमेश: ।
शुद्ध करो--
रामात्र एहि, विष्णुभी, कवीमौ, झताण्ड:, दिगेशः, स्वेरः, उपरोक्तम् , दिवों-
कसः, अक्षोहिणी, ओंढः, सुखते:, ग्रेजते, केशवौध्बम् , तथेदम् , ग्रेषयति, रामेंहि,
उपतः, अेषः, अवेहि, मालाच्छति, प्राच्छेकः, देवोजः, बालोषति माल्ेजते, रामेति,
वेधसायोनमः, विष्णवायोनमः, वस्त्वुदकम् , दष्यिद्म्, पिन्रणम् , रथीश$, गविन्द्र:,
भवुकः, देव अतति । हरौज्च, विष्णौज्व, चेपनम् । गये, चित्रगवाग्रम् , गो उंद्रम् ,
गो ईंशः, गो उद्धः, ।
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व्यक्जन-संन्धि
व्यक्षन वर्णके साथ व्यक्षन अथवा स्वर वर्णके मेलको व्यक्षन-सन्धि कहते हैं।
यथा--तत् टीका 5 तट्टीका । तस्मिन् « इति ८ तस्मिन्निति |
-( १) स्तोःश्चुना श्चु!--
सकार और तबगके स्थानमें शकार और चबगके योग होनेपर ( आगे या पीछे
रहनेपर ) दन्त्य सकारके स्थानमें तालव्य शकार और तबमके स्थानमें चवरग#
होता है । क् क्
# शात्' सू० । शकारसे पर ववर्गकी चवगे नहीं होता । यथा--विश्नः, प्रशनः ।
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