अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध | International Relations

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध  - International Relations

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एम. एल. शर्मा - M. L. Sharma

Add Infomation AboutM. L. Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पुद्धोत्तर विश्व र्‌ (२) पृथिण भौर पश्ीश्य दा छागरख--प्रथम एवं द्वितीय महयुदों है एशिया हथा घष्टीबा में यृगा त॒फ़ारी परिबर्तत बिये । इस यु्धों से पहले य दोनों महादीप विभिन्न पूरापियम देखों के साप्राउद के भय ये । प्रफीका का एक मात्र स्पातीय स्वतंत्र राज्य एगोसीविया १६३५ में इटलो के शाम्राम्य बाद बा शिकार बन गया था धौर एशिया के प्रधिकांश प्रदेश १६१४ सके दिटिश फ्रेल्द ऊूगी एवं इच साज्रारपों के परम हां चुरे 4 । इस समय तक सहां बेबल चीन फापाम स्पायप अफंगामिस्वान के टर्वी ही स्वाधीन बचे थे । प्रपण महायुद कौ समाप्ति पर सम्पूण एशिया भौर पफीका में स्वतजता पता पता और जापरण की गहरी सहर प्रायी भौर ट्वितीय महायुद्ध के बाद इसने प्रदण इछू दा हम छे छिपा । पहू बढ़ा जा राषाहा है दि ११५१६*% बाए एमिया घोर अछीका मे यूरापियन साप्नाग्यबाद भी पराजय धारध्म हुई भ्ौर १६४५ $ बाद इसका समूसोस्मूसस होन लगा । बाततद में टितीय महायुद्ध की समाप्ति भौर पता क राष्ट्रप पी स्थापना के बाल गा दक एशिया एवं भ्फ़ीणा महाद्वीप के लिए तपी प्राशाए एवं स्दणिम भविष्य ज़ेकर उपरियत हुपा ) एशिया धौर बिशाप्त प्रात प्रस्प महाद्वीप (छफीबा) में त्वरित पति से घटनाएं परी घौर प्राषिक सामाजिंग सपा राजनैतिक जियो के भीपण बिग्फोट हुए ) दोलों महाद्रीपों बा गया बिप्र थौरे धीरे भर्तर्राप्ट्रीप श्तिज पर उमरने स्पा छोर इसरे पराधीम सइ॒त॑त्र होने लगे । जी सी स्मिप (50800 0०77०! श्र) के मैं प्रत् “यह स्पष्ट हो गया कि भविष्य के लिए प्रूणोषियन राष्ट्र कै सम्बरप घौर गेर-यूरोपियभ राष्ट्रों क सम्बरप सर्वाधिक मह्वपूरों हपि। * मुद्धोल्वर काल में भारत अर्पा, रम्योडिया श्रीसंका घागा इडोनेशिसा प्रजशायत जोन कोरिया स्षाप्रोस सेब्सात हीडिया भोरषकी/ फिसिपाइन्स' घृड़्ान सीरिमा, ट्यूनिशििया भादि दैश स्वर्तत्न हुए । ११६० में प्रफीका के १६ देशों में स्‍्वतशता प्राप्त की स्‍घौर इसीलिए ११६० को प्रश्टीवा का स्माधीनता का वर्ष तर कहां बाता है, इसमें कोई संदेह डी कि महादुड के बाद के दिव्य में एशिया पौर प्रमैका की रायनीति के ईइ हास में भूमिका होगी। पामए सौर 2 एशाजल बणड एचीत05) के प्रतुसार _ एपिब्रा का बिद्रोह्ट २०वीं का सर्वाभिष महत्वपूर्ण गिकास शिय हो छम्ज्ता है ।” 1 5, १६४५ के उपरात्त यृरोपषियम साम्रास्पदाद प्रथवा ध्रौपनिवेशिक _ अपरस्था को किससा प्रशल् भाजात पहुँचा इसका हे 85 गग इसी हश्प से सुयमता >पूर्दक लगाया ला बता है दि पहऐे जहां संतार गो छूतसंक्या का ३३४ माय इस उपनिवेशों में नियास करता था बहाँ स्‍्राज इसकी संक्या घट कर १९४ प्रतिशत रह गयी है । महायुद्ध से छ् प्रनेक ऐसे भी देश ये थो रे भर के सिए स्वतत्र बे प्रस्यधा हास्‍्तव में बे! भी धाथिक पाप्माश्पबाद पं्ों मं व + नपए क्र एशावण ज॑ 1० एऐन्त् खब्ा सणा व, 9. 9 [शवफटा ब्कर्य, #सामितज--7/नाजाएएओं.. एथंड105, ए. 472. (६०००७6 ४6(७७७)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now