ईशावास्य दर्शन | Isavasya Darshana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र
शिष्य--यदित के श्मतुध्तार क्या यद्द संसार भी “पूर्ण” सिद्ध किया जा
सच्ता है?
जुरू-कयों नहीं। 'झग्माइडड ऊ कक छ छू ए ऐडी और थ॑ आः?
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शपसहे” ये आठ वर्ण। सब मिलाकर ३३ ब्यंज्ञन हुए। जो जो
स्वर या व्यंजन मिस जिस संख्या पर आता है उसकी बदी संख्या
लिखी फिर उसक। योग करो। स्मरण रहे--अकारकों संझ््या नहीं
लिखनीो । बढ केवल व्यंजनों के उच्चारण के लिए है-“ककारादिपु
आकार उच्चारणार्थ:? “नानक विना ब्यंजनस्थोच्चारणं सम्भदति?
(महाभाष्यम् )। पहले “संसार! शब्द द्वी लो-(सू-अं-सू-भा-र-ऋ)
है )। संझ्या ३२, “अं? को १५, नस की ३९, 'आः की २ 'र्! को २७
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