विज्ञान और विश्वविद्यालय | Vigyan Aur Vishw Vidyalay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बिना सहायता के भौ बह काम अप्ता सके | हाँ बैज्ञानिक सहायता सिए शिगा विकास की प्रगधि मत्द अवश्य हो सकती है। यहाँ यह कहता मनुचित त होगा हि चौतिक साथर्नों और क्षेत्रों को कमो नहीं है। लम्मबतः तेजी से विकास करने के सिए शुर्म बाघाएं घामाजिक मौर सगो ईज्ामिक हैं 1 छत देधों में जहाँ पर विज्ञान का स्पादहारिंएः उपयोग का काम जमौ मुझ हुआ है यदि इढ़ निश्चय कर लिमा क्षाये तो इसके विकास की गति उन देखों कौ अपेला गहीं अधिक हो सकती है जहाँ पर गिड्भान को भ्यवह्वार में सात का काम काफी पहुसे शुरू हो भुरा है। ऐसा %ई दैशों में हुआ भी है। एसा शम्ता है कि विज्ञान को स्मावहारिक प्रपयोय में स्ाने बाहे ये दोनीं देख शुछ समय आद समात स्तर पर आ णाते हैं कौर छिर दोनों देशों की एक-सी प्रपति होने छगमती है। इससे अधिक प्रयति सम्शबत' इत देशों को प्राप्त नहीं हो पाती विज्ञान ध्ोर हृषि जिन दैप्तों में हृपि को बहानिक रुप दे दिमा पा है। जहाँ पर उपय बहुत ठेजी से बड़ी है। वैडित जहाँ पर बैठी में विज्ञान का उपयोग महीं किया गया है बहाँ बा उत्पादन समभग महीं के बराभर बढ़ा है, जप्ता ढि साई रबरको् अ




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